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Tuesday, December 7, 2021

mere mola mujhe do sahara

 

मेरे मौला मुझे दो सहारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा

ढलते सूरज को तुमने उभारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


तुम ही मुश्किल कुशा ऐ जहां हो

तुम ही मौलाए कौनो मकां हो

अंबिया ने भी तुमको पुकारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


ढलते सूरज को तुमने उभारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


मेरी कश्ती भंवर में फसी है

दुशमनों के लबों पर हंसी हैं

कर दो नज़दीक़ मुझसे किनारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


ढलते सूरज को तुमने उभारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


गर्दिशों में मुक़द्दर है मेरा

क्या करुं चार सूं है अंधेरा

तुम जो चाहो तो चमके सितारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


ढलते सूरज को तुमने उभारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


रंज में कब से मैं मुबतिला हूं

मेरे मौला असीरे जहां हूं

क्या तड़पना मेरा है गवारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


ढलते सूरज को तुमने उभारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


मुस्तफ़ा के लिए अब बचाओ

फ़ातेमा के लिए जां छुड़ाओ

अब तो मुतलक़ नहीं ग़म का यारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


ढलते सूरज को तुमने उभारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


तुमको मौला हसन की दुहाई

सरवरे बे कफ़न की दुहाई

सुन लो फ़रियाद मेरी ख़ुदारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


ढलते सूरज को तुमने उभारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


बहरे अब्बास बाज़ू को थामो

मुश्किलों से हमे तुम बचालो

तेरे दर पे है सर ख़म हमारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


ढलते सूरज को तुमने उभारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


वस्ता अकबरे नौजवां का

वस्ता छे महीने की जां का

कर दो रहमत काे बस अब इशारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा


ढलते सूरज को तुमने उभारा

मैंने थामा है दामन तुम्हारा