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Thursday, October 14, 2021

salame aakhri ai karbala walo

 

है रुक़सत की घड़ी करबला वालों


ख़ुदा हाफ़िज़ ख़ुदा हाफ़िज़-2

सलामे आख़री ऐ करबला वालों

ख़ुदा हाफ़िज़-4



ना हम से हो सका कुछ भी अदा हक़ मेज़बानी का

ये है शर्मिन्दगी  ऐ करबला वालों ख़ुदा हाफ़िज़


तुम्हारे साथ ज़हरा भी यहां तशरीफ लायीं थीं

ये इज़्ज़त भी मिली ऐ करबला वालों ख़ुदा हाफ़िज़



हमारे घर की रौनक़ भी तुम्हारे साथ जाती है

उदासी छा गयी ऐ करबला वालों ख़ुदा हाफ़िज़



तुम्हारे ग़म में रोते रोते मर जाते तो अच्छा था

ये हसरत रह गई ऐ करबला वालों ख़ुदा हाफ़िज़



किसी सूरत बहलता ही नहीं दिल कैसे बहलाएं

अजब है बेकली ऐ करबला वालों ख़ुदा हाफ़िज़


फिर अगले साल हम यूं ही सफे मातम बिछाएंगे

रही गर ज़िन्दगी ऐ करबला वालों ख़ुदा हाफ़िज़