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Sunday, September 12, 2021

hussain bant rahe hai

 

हुसैन बांट रहे हैं निजात ले जाओ

कुछ आंसुओं के एवज़ कायनात ले जाओ


ये करबला है ये मोजिज़ नुमा की बस्ती है

कफ़न में उसको लपेटो हयात ले जाओ


करेंगे मातमी हल्क़ो से लोग महशर में

हमें हुसैन की जन्नत में साथ ले जाओ


नहीं करूंगा लहद में मैं इंतेज़ारे सहर

फ़रिश्तों कर्बोबला रातों रात ले जाओ


क़सम हुसैन की पुरसे में कम ही लगता है

बुलन्द जितना भी मातम में हाथ ले जाओ


कहा ये ख़िज़्र से अब्बास ने यहां आकर

हमारी मश्क़ से आबे हयात ले जाओ


ऐ मौजों उट्ठो अरीज़े को साथ ले जाओ

इमामे अस्र तलक मेरी बात ले जाओ


ख़ुदा उतारने वाला है सदक़ा मेंहदी का

रसूलों आओ नए मोजिज़ात ले जाओ


कहेंगी फ़ातेमा वक़्ते ज़हूर मेंहदी से

लड़ाई के लिए गाज़ी को साथ ले जाओ


ग़मे हुसैन में हर ज़ख़्म मोजिज़ा है नईम

सज़ा के जिस्म पे कुछ मोजिज़ात ले जाओ