हुसैन बांट रहे हैं निजात ले जाओ
कुछ आंसुओं के एवज़ कायनात ले जाओ
ये करबला है ये मोजिज़ नुमा की बस्ती है
कफ़न में उसको लपेटो हयात ले जाओ
करेंगे मातमी हल्क़ो से लोग महशर में
हमें हुसैन की जन्नत में साथ ले जाओ
नहीं करूंगा लहद में मैं इंतेज़ारे सहर
फ़रिश्तों कर्बोबला रातों रात ले जाओ
क़सम हुसैन की पुरसे में कम ही लगता है
बुलन्द जितना भी मातम में हाथ ले जाओ
कहा ये ख़िज़्र से अब्बास ने यहां आकर
हमारी मश्क़ से आबे हयात ले जाओ
ऐ मौजों उट्ठो अरीज़े को साथ ले जाओ
इमामे अस्र तलक मेरी बात ले जाओ
ख़ुदा उतारने वाला है सदक़ा मेंहदी का
रसूलों आओ नए मोजिज़ात ले जाओ
कहेंगी फ़ातेमा वक़्ते ज़हूर मेंहदी से
लड़ाई के लिए गाज़ी को साथ ले जाओ
ग़मे हुसैन में हर ज़ख़्म मोजिज़ा है नईम
सज़ा के जिस्म पे कुछ मोजिज़ात ले जाओ