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Friday, June 20, 2025

सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ अब्बासे अली आए क़रीबे शहे अबरार 🕊️

भाई को अलम देके किया शह ने बहुत प्यार 

हंस हंस के रक़ीबों से ये करने लगे गुफ्तार

जैसी ये मेरी फौज है वैसा ही अलमदार

ग़ाज़ी सा कोई दीन का सरदार न होगा

अब्बास सा दुनिया में अलमदार न होगा



सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा

हाशिम का क़मर हैदरे कर्रार का प्यारा


सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा 2


हैदर केे घराने की सख़ावत सख़ी अब्बास

ख़ूने अबूतालिब की सदाक़त सख़ी अब्बास

ज़हरा की दुआओं की तहारत सख़ी अब्बास 

क़ुदरत ने बनाया नहीं फिर एसा दोबारा 


सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा 2


क़ुराने वफा शेरे नयस्ताने अली है

ज़हरा की तमन्ना है दिलो जाने अली है

इसके लिए बचपन से ही फ़रमाने अली है

मै इल्म का दरिया हू ये दरिया का किनाका


सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा 2


पैदा हुए अब्बास तो गोदी में उठा कर, 

ज़ैनब ने रखा नाम कलेजे  से लगा कर, 

छोटा सा अलम शह ने दिया इनको सजा कर

देखा जो अलम ने तो अलम ख़ुद ये पुकारा


सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा 2


ये पंजतने पाक के लश्कर का निशां है

कहते हैं ये शब्बीर मेरा शेरे जवां है

ऐसा कोई दुनिया में अलमदार कहां है

शहवन से है शहबाज़ कलंदर का नारा


सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा 2


अब्बासे अली रूहे वफ़ा जाने वफ़ा है

अब्बासे अली फ़ातेमा ज़हरा की दोआ है 

हर वक़्त अलम चूमती रहती ये हवा है

भूला नहीं अब्बास को दरिया का किनारा


सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा 2


दुनियाए शहादत में कहां उसका है सानी

जो सारे शहीदों की सफों मे रहा ग़ाज़ी

बे दस्त भी होकर जो भरे झोलियां सब की

हाशिम का क़मर सारे फ़क़ीरों का सहारा


सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा 2


लाज़िम है कि हम देखेंगे इक रोज़ ये मंजर

फरमाएंगे जब मेंहदीए दौरां सरे मिमबर

काबे से नमूदार जो होगा मेरा लश्कर

होगा यही लश्कर का अलमदार हमारा


सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा 2




याद आता है वो रुख़सते अब्बास का मंजर

वो रोना सकीना का फरहरे को पकड़कर

वो देखना ज़ैनब का कभी घर कभी चादर

कहती थी पलट आए बहन भाई का प्यारा


सख़ी अब्बास हमारा है अलमदार हमारा 2