🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ हो गयी आह बे पिदर ज़ैनब 🕊️
कम है अब रोये जिस क़दर ज़ैनब
आज हैं फ़र्शे ग़म में अहले अज़ा
बाप के ग़म में नौहागर ज़ैनब
रोकले अपने आंसुवों को ज़रा
अब तो रोना है उम्र भर ज़ैनब
देखना एक दिन दिखाएगी
शाम तुझको यही सहर ज़ैनब
इबतेदा है अभी तो कूफे में
तुझको होना है दर बदर ज़ैनब
मजमा ए आम होगा गलियों में
और होगी बरहना सर ज़ैनब
हिल रहा है मज़ार रोती है
मां की तुरबत पे नौहागर ज़ैनब
तेरे नालों से हो रहा है बपा
एक कोहराम अर्श पर ज़ैनब
सय्यदा आ गयी हैं जन्नत से
सारा मातम कदा है घर ज़ैनब
करते है जिस तरह यातीम बसर
अब करो उम्र यूँ बसर ज़ैनब
रौनक़ें उठ रही है दुनिया से
जा रहा है तेरा पिदर ज़ैनब