🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ असग़र हाय असग़र असग़र हाय असग़र 🕊️
ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम
ऐ शाहेदीं के दिलबर ऐ रूहे क़ल्बे मादर
ऐ तश्नाकाम असग़र ऐ बेज़ुबान असग़र
ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम
तश्नालबी पे तेरी गिरिया है ये ख़ुदाई
मज़लूमियत न तेरी इनसानियत जगाई
ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम
सूखे लबों पे तूने जिस दम ज़ुबा फिराई
सर को झुका के रोया दुशमन का हर सिपाही
ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम
क्या मंजिलत है तेरी शब्बीर ख़स्तातन ने
दफना के तेरा लाशा फरमाया पुर मेहन ने
ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम
शिकवा न करना असग़र पानी नही मयस्सर
आंसू बहा के मैने तुरबत को कर दिया तर
ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम
यादे पिसर जब आती तो कोख उजड़ी मादर
रातों को उठ के अकसर कहती थी दर पे आकर
ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम
तारीख़े करबला को पढ़कर अनीस देखो
क़ातिल भी सर झुकाए कहते मिलेंगे तुम को
ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम