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Friday, June 20, 2025

असग़र हाय असग़र असग़र हाय असग़र

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ असग़र हाय असग़र असग़र हाय असग़र 🕊️

ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम




ऐ शाहेदीं के दिलबर ऐ रूहे क़ल्बे मादर

ऐ तश्नाकाम असग़र ऐ बेज़ुबान असग़र

ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम


तश्नालबी पे तेरी गिरिया है ये ख़ुदाई

मज़लूमियत न तेरी इनसानियत जगाई

ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम


सूखे लबों पे तूने जिस दम ज़ुबा फिराई

सर को झुका के रोया दुशमन का हर सिपाही

ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम


क्या मंजिलत है तेरी शब्बीर ख़स्तातन ने

दफना के तेरा लाशा फरमाया पुर मेहन ने

ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम


शिकवा न करना असग़र पानी नही मयस्सर

आंसू बहा के मैने तुरबत को कर दिया तर

ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम


यादे पिसर जब आती तो कोख उजड़ी मादर

रातों को उठ के अकसर कहती थी दर पे आकर

ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम



तारीख़े करबला को पढ़कर अनीस देखो

क़ातिल भी सर झुकाए कहते मिलेंगे तुम को

ऐ छे महीने वाले तुझको मेरा सलाम