🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ सरे मकतल सरे नेज़ा जो सर शब्बीर का होगा 🕊️
ख़ुदाई में ख़ुदा की हर तरफ महशर बपा होगा
कमर थामे हुए शब्बीर जाते हैं जो मकतल में
अली अकबर के सीने में कोई नेज़ा लगा होगा
दिले ज़ैनब पे जाने क्या क़यामत टूटती होगी
कभी औनो मोहम्मद को कोई जब पूछता होगा
दरे ख़ैमे पे बानो को सदा देते तो हैं सरवर
अबा जब लाशाए असग़र से उट्ठेगी तो क्या होगा
किसी हंसते हुए बच्चे पे जब नज़रें रुकी होंगी
अली असग़र का चेहरा मां की नज़रों में फिरा होगा
न पलटे नहर से अब्बास अब हालात कहते हैं
हरम का क़ाफ़िला बेसाया होगा बेरिदा होगा
तमाचे मारे जाएंगे सकीना को पसे सरवर
सितम की रीसमा होगी सकीना का गला होगा
सितमगर जिस बहन के सर से चादर छीनते होंगे
उसे अब्बास सा भाई बहुत याद आ रहा होगा
न लिखा होगा सुग़रा ने जो ख़त में हाले ज़ार अपना
हुसैन इब्ने अली ने वो भी शायद पढ़ लिया होगा