🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ कहा सुग़रा ने रोकर बहुत दिन हो गए हैं 🕊️
तुम्हे देखे बरादर बहुत दिन हो गए हैं
सांस रुकने लगी है हर घड़ी बेबसी है
अब तो आ जाओ भय्या वक़्त ये आख़री है
किए वादा ऐ अकबर बहुत दिन हो गए हैं
तुम्हारे बाद हर सूं उदासी छा गई है
कमर ख़म हो गई है ज़यीफी आ गई है
चले आओ पलट कर बहुत दिन हो गए हैं
अज़ां सुनती हूँ मै जब लरज़ता है बदन सब
गए क्या आप भय्या है सूना सारा यसरब
है हर सूं ग़म का मंज़र बहुत दिन हो गए हैं
तेरे सेहरे की लड़ियां हसरतों से सजाकर
एक भेजा है झूला मैने क़ासिद को देकर
है कैसा मेरा असग़र बहुत दिन हो गए हैं
न मुझको लेने आए न भेजा ख़त किसी ने
मुझे ग़ैरों की तरह भुलाया है सभी ने
कहूं किस से मैं जाकर बहुत दिन हो गए हैं
तेरे शादी के अरमां बहुत दिल में सजाए
तेरी फुरक़त में मैने कितने आंसू बहाए
हुई आंखें समन्दर बहुत दिन हो गए हैं
चचा अब्बास क़ासिम हैं कैसे मेरे बाबा
फुफी जै़नब सकीना कैसे रहती हैं अम्मा
सभी को छोड़े ये घर बहुत दिन हो गए हैं
लगा अकबर के नेज़ा हुआ ज़ख्मी कलेजा
कहा बाबा दिखा दो मुझे सुग़रा का चेहरा
वो कहती है तड़पकर बहुत दिन हो गए हैं
उठाई शह ने उंगली नज़र आया मदीना
ज़मी पे रख के मुह को तड़पती है हज़ींना
ये नौहा है लबों पर बहुत दिन हो गए हैं
दमे आख़िर था उर्फी यही अकबर का नौहा
काश सुग़रा से कोई असद जाकर ये कहता
तेरा उजड़े मुक़द्दर बहुत दिन हो गए हैं