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Tuesday, June 24, 2025

आशूर की शब लैला ने कहा ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ आशूर की शब लैला ने कहा ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र 🕊️

दीदार तो कर लूं अकबर का ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र




हर मां का ये अरमां होता है बेटे को बना ले वो दूल्हा

अकबर को बना लूं मैं दूल्हा ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र


मैं ब्याह रचाऊं अकबर का अरमान ये पूरा कब होगा

घुटता है गला अरमानों का ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र


सुग़रा ने कहा था भइया को हाथों से पिन्हाऊंगी जोड़ा

आ जाए मदीने से सुग़रा ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र


मैं चूम तो लूं उस सीने को जिस सीने पर बर्छी होगी

अश्क़ो का बहा लूं मैं दरिया ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र


है आख़री लम्हा सांसों का जाता हू मैं दुनिया से बाबा

सुनकर ये जिगर फट जाएगा ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र


शब्बीर को दश्ते ग़ुरबत में कोई न मदद को आएगा

लाना है उन्हे तन्हा लाशा ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र


ज़ानू पे लिटाकर बेटे को कल बाप निकालेगा बर्छी

रह जाएगा बर्छी का टुकड़ा ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र


अट्ठारह बरस पाला था जिसे वो चांद निहा हो जाएगा

फिर अब्रे अलम छा जाएगा ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र




आशूर की शब ये नौहा था लैला के लबों पर ऐ आलम

कल मेरा चमन लुट जाएगा ऐ रात ज़रा आहिस्ता गुज़र