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Tuesday, June 24, 2025

क्या रहा ख़ैमों में शह के एक उदासी रह गई

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ क्या रहा ख़ैमों में शह के एक उदासी रह गई🕊️

सिर्फ रोने को मोहम्मद की नवासी रह गई




सज गई क़ासिम के टुकड़ो से उधर कर्बोबला

मां इधर बेटे की दुल्हन को सजाती रह गई


छीनता था शिम्र चादर और ज़ैनब बार बार

अपनी चादर के मुहाफिज़ को बुलाती रह गई


ख़ूने दिल अब्बास का सब बह गया रन में मगर

दिल में बस इक बात ज़ैनब की रिदा की रह गई


ऐ मुसलमानों तुम्हारी ग़ैरतें क्या हो गयीं

तुम तमशाई थे ज़ैनब मुह छिपाती रह गई


क़ैद में बाली सकीना को मिला बाबा का सर

मुंह पे मुंह रख कर जो सोई मां जगाती रह गई


मादरे असग़र न बैठी साए में असग़र के बाद

साए में आई तो ज़िन्दा लाश बाक़ी रह गई


हर तमाचे पर सकीना मुंह पे रख कर नन्हे हाथ

नील रुख़सारो के ग़ाज़ी को दिखाती रह गई




आ गए रेहानो सरवर करबला से लौटकर

आज तक ख़ुशबू बदन में करबला की रह गई