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Saturday, June 21, 2025

भाई को रोेएगी बहन ज़ैनब

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ भाई को रोेएगी बहन ज़ैनब 🕊️

एक मजबूर ख़स्तातन ज़ैनब



हम शबीहे रसूल ज़ख़्मी है

उस के सीने में एक बर्छी है

चांद को लग गया गहन ज़ैनब


जब से मारा गया मेरा अब्बास

तब से रहता हूं मैं उदास उदास

अब बंधेगी तुम्हे रसन ज़ैनब


मेरा असग़र बहुत ही प्यासा था 

प्यास उसकी बुझाने आया था

ख़ून में डूबा गुलबदन ज़ैनब


देखो दरबार में भी चुप रहना

ज़ुल्म सहना मगर न कुछ कहना

एक साबिर की है बहन ज़ैनब


मै सकीना को खोके आई हूँ

उसकी तुरबत पे रोके आई हूँ

कितनी मजबूर है बहन ज़ैनब


बाज़ुओं पे निशान बाक़ी हैं

हाय सज्जाद भी तो ज़ख़्मी है

किस तरह जाएगी वतन ज़ैनब


अब मदीने में दिल लगेगा कहां

एक पल चैन से कटेगा कहां

ग़म से मर जाएगी बहन ज़ैनब




मै अकेले वतन न जाऊंगी

सब को किस तरह मुह दिखाऊंगी

क्या कहेगी तेरी बहन ज़ैनब