🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़🕊️
मन के बी अलमदारम , बे मुईनों बे यारम
अज़ हयाते बे ज़ारम, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ऐ मेरी बहन ज़ैनब घर तेरे हवाले है
जो लाएक़-ए-सजदा है सर उसके हवाले है
बस चलने को है ख़ंजर, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
कहना मेरे नाना से घर बार लुटाया है
इस तरह नवासे ने वादे को निभाया है
सर है मेरा नेज़े पर ख़्वाहारा ख़ुदा हाफिज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
तुम बाद मेरे ज़ैनब मुश्किल से ना घबराना
अब्बासे जरी बन कर हर ज़ुल्म से टकराना
ऐ जानो दिले हैदर ख़्वाहारा ख़ुदा हाफिज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब मेरी बेटी को हर ग़म से बचा लेना
जब रोए सकीना तो गोदी में सुला लेना
कमसिन है मेरी दुख़्तर ख़्वाहारा ख़ुदा हाफिज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
मारे गये सब बहना, हम रह गये अब तन्हा
इस आलम-ए-ग़ुरबत में, मुश्किल है मेरा जीना
मारे गये सब दिलबर, ख़्वाहारा ख़ुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ख़ंजर मेरी गर्दन पर जब शिम्र चलाएगा
रह रह के मुझे तेरा चेहरा नज़र आएगा
तू होगी बरहना सर, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़िंदां के अंधेरे में जब रोए मेरी बच्ची
दिलजोई बहोत करना उस वक़्त बहन उसकी
मर जाए ना वो घुट कर, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़िंदाँ से रिहा होकर जब सुए वतन जाना
जो ज़ुल्म हुए हम पर सुग़रा को वो बतलाना
हम क़त्ल हुए क्यूँ कर, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
कहना तेरी फुरक़त में अकबर भी तड़पता था
रोता था सरे मक़तल जब ख़त तेरा आया था
सीने पे सीना खा कर, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
हर गोद में ढूंदेगी सुग़रा अली असग़र को
तुम खुद ही बता देना बीमार को मुज़तर को
नावक लगा गर्दन पर, ख्व्हारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
पूछे जो सकीना को बीमार मेरी दुख़्तर
बतलाना के ज़िंदां में वो मर गई रो रो कर
वो ज़ख़्म भी है दिल पर, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
मारे गये सब बहना, हम रह गये अब तन्हा
इस आलम-ए-ग़ुरबत में, मुश्किल है मेरा जीना
मारे गये सब दिलबर, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
"रेहान" बहुत रोई ज़ैनब ये बयाँ सुन कर
कहने लगी भाई के सीने पे वो सर रख कर
दिल डूबा है ये सुन कर, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़
ज़ैनब-ए-हज़ीने मन, ख़्वाहारा खुदा हाफ़िज़