🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ ज़हरा ने कहा ज़ैनब दरिया पे अगर जाना 🕊️
अब्बास के लाशे से आहिस्ता गुज़र जाना
अब्बास की ग़ैरत का चर्चा है जंमाने में
मशहूरे जहां वो है हैदर के घराने में
सर नंगे न दरिया पे ऐ नूरे नज़र जाना
ज़हरा ने कहा ज़ैनब दरिया पे अगर जाना
अब्बास के लाशे से आहिस्ता गुज़र जाना
शब्बीर की दुख़्तर है मासूम सकीना है
सोने को कहां मुमकिन अब बाप का सीना है
आगोश में बच्ची को तुम लेके अगर जाना
ज़हरा ने कहा ज़ैनब दरिया पे अगर जाना
अब्बास के लाशे से आहिस्ता गुज़र जाना
पाबन्दे रसन होकर दरबार में जाओगी
बेमकनाओ चादर तुम बाज़ार में जाओगी
बस नादे अली पढ़कर मजमे से गुज़र जाना
ज़हरा ने कहा ज़ैनब दरिया पे अगर जाना
अब्बास के लाशे से आहिस्ता गुज़र जाना
जिस वक़्त शक़ी तुझको दरबार में लाएंगे
जो मां पे सितम गुज़रे वो याद सब आएंगे
दरबार से ज़ालिम के मायूस वो घर जाना
ज़हरा ने कहा ज़ैनब दरिया पे अगर जाना
अब्बास के लाशे से आहिस्ता गुज़र जाना
ज़हरा की सदा सुनकर ज़ैनब ने कहा रोकर
अब्बास से शिकवा मैं करने की नहीं मादर
तूफ़ाने तलातुम में है अब मुझ को उतर जाना
ज़हरा ने कहा ज़ैनब दरिया पे अगर जाना
अब्बास के लाशे से आहिस्ता गुज़र जाना
जिस दिन से वतन छोड़ा बिलकुल नहीं सोई हूं
इक दिन में बहत्तर के लाशों पे मैं रोई हूं
अब देखिए कब होगा अम्मा मुझे घर जाना
ज़हरा ने कहा ज़ैनब दरिया पे अगर जाना
अब्बास के लाशे से आहिस्ता गुज़र जाना
हर इक क़दम हम पर अब ज़ुल्मो सितम होंगे
शानों में रसन होगी सर नंगे हरम होंगे
मुमकिन नहीं चलना फिर भी है मगर जाना
ज़हरा ने कहा ज़ैनब दरिया पे अगर जाना
अब्बास के लाशे से आहिस्ता गुज़र जाना
आबिद को सकीना की मय्यत भी उठाना है
ज़िन्दा मे सकीना की तुरबत भी बनाना है
अब बाली सकीना का मुमकिन नहीं घर जाना
ज़हरा ने कहा ज़ैनब दरिया पे अगर जाना
अब्बास के लाशे से आहिस्ता गुज़र जाना
ये सहिबे आलम की दिन रात तमन्ना है
रौज़े पे अज़ादार नौहा यही पढ़ना है
हो रौज़ए गाज़ी पर क़िसमत में अगर जाना
ज़हरा ने कहा ज़ैनब दरिया पे अगर जाना
अब्बास के लाशे से आहिस्ता गुज़र जाना