🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ दीने इस्लाम को परवान चढ़ाया शह ने 🕊️
नोके नेज़ा से भी कुरआन सुनाया शह ने
तेरी आगोश में जन्नत की बहारें देकर
करबला तुझ को भी गूलज़ार बनाया शह ने
देके अब्बास के पटके में अलम को दीं के
फ़ौज का अपनी अलमदार बनाया शह ने
दश्ते ग़ुरबत में हूं आ जाइए बचपन के हबीब
लिखके खत इब्ने मज़ाहिर को बुलाया शह ने
डालते नन्ही सी तुरन्त पे कहाँ से पानी
कब्रे बेशीर पे अश्कों को बहाया शह ने
जब न मकतल में नज़र आया मददगार कोई
लाशे अकबर को अकेला ही उठाया शह ने
फिर मयसर इसे आयेगा न सीना मेरा
लोरिया दे के सकिना को सुलाया शह ने
मैं कहाँ और कहाँ नौहाऐ शब्बीर शमीम
मैने वो लिख दिया जो मुझ से लिखाया शह ने