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Sunday, August 25, 2024

ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे

 

आवाज़ दे रही है ये मक़्तल में सय्यदा  

ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे  

नरग़े में ज़ालिमों के मेरा लाल है घिरा  

ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे


आशूर की ये शब है सियाही लिए हुए  

दामन में एक पयामे तबाही लिए हुए  

डर लग रहा है मुझको बियाबां में बा ख़ुदा  

ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे


अल्लाह मेरी गोद के पाले की ख़ैर हो  

जंगल में तीन रोज़ के प्यासे की ख़ैर हो  

घबरा रहा है देर से पहलू में दिल मेरा  

ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे


परदेस में बतूल का बेटा ग़रीब है  

ज़ैनब मेरे हुसैन की हालत अजीब है  

माबूद कैसा वक़्त ये बेकस पे आ पड़ा

ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे


सदक़ा बला की रद है दुखे दिल का चैन है  

नौ लाख ज़ालिमों में अकेला हुसैन है  

फरमा रही हैं बेटी से रोकर ये फ़ातेमा  

ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे


ये कैसी दुश्मनी है मेरे नूरे ऐन से  

टकरा रही है ज़ुल्म की हद अब हुसैन से  

सर काटने पे शिम्र सितमगार है तुला  

ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे


परवान जिनको मैंने चढ़ाया था पाल कर  

लाई हूं उनको भाई का सदक़ा निकाल कर  

बेटी को हुक्म दीजिए करिए ना इल्तेजा  

ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे


ज़ैनब निभा के फर्ज़ सबुकदोश हो गई  

महफूज़ माँ हुसैन की ख़ामोश हो गई  

ख़ुर्शीद फिर न आई बियाबां में ये सदा  

ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे