आवाज़ दे रही है ये मक़्तल में सय्यदा
ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे
नरग़े में ज़ालिमों के मेरा लाल है घिरा
ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे
आशूर की ये शब है सियाही लिए हुए
दामन में एक पयामे तबाही लिए हुए
डर लग रहा है मुझको बियाबां में बा ख़ुदा
ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे
अल्लाह मेरी गोद के पाले की ख़ैर हो
जंगल में तीन रोज़ के प्यासे की ख़ैर हो
घबरा रहा है देर से पहलू में दिल मेरा
ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे
परदेस में बतूल का बेटा ग़रीब है
ज़ैनब मेरे हुसैन की हालत अजीब है
माबूद कैसा वक़्त ये बेकस पे आ पड़ा
ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे
सदक़ा बला की रद है दुखे दिल का चैन है
नौ लाख ज़ालिमों में अकेला हुसैन है
फरमा रही हैं बेटी से रोकर ये फ़ातेमा
ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे
ये कैसी दुश्मनी है मेरे नूरे ऐन से
टकरा रही है ज़ुल्म की हद अब हुसैन से
सर काटने पे शिम्र सितमगार है तुला
ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे
परवान जिनको मैंने चढ़ाया था पाल कर
लाई हूं उनको भाई का सदक़ा निकाल कर
बेटी को हुक्म दीजिए करिए ना इल्तेजा
ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे
ज़ैनब निभा के फर्ज़ सबुकदोश हो गई
महफूज़ माँ हुसैन की ख़ामोश हो गई
ख़ुर्शीद फिर न आई बियाबां में ये सदा
ज़ैनब मेरे हुसैन का सदक़ा उतार दे