.
.
हाय शाम ए ग़रीबां हाय शाम ए ग़रीबां हाय शाम ए ग़रीबां
या हुसैन या हुसैन या हुसैन
या हुसैन या हुसैन या हुसैन
हाय
छा गई शाम ए ग़रीबां ए हरम
अब ना गाज़ी है ना गाज़ी का अलम
एक बीमर है वो भी लबे दम
सारे आलम में बापा है मातम
जल चुके खैमे लयीं लूट चुके सर से रिदा
दश्त में आती है सादात के रोने की सदा
या हुसैन या हुसैन या हुसैन
हाय
या हुसैन कुश्ताए तैग़े ए जफ़ा
या हुसैन सिब्ते रसूल ए ख़ुदा
हाय सर बर सरे नैज़ा तेरा
दर बदर ले गई फौजे आदा
बेकफ़न लाशा ए बे सर है ग़रीब ए ज़हरा
है बदन घोड़ों से पामाल तेरा वावैला
या हुसैन या हुसैन या हुसैन
हाय
नैनवा दश्ते बला कर्बला
क्यो हुई जौरो जफ़ा कर्बला
क्या थी प्यासों की ख़ता कर्बला
कुछ तो कह कुछ तो बता कर्बला
अपने मेहमान पे ये बंदिश ए पानी क्यों कर
जिस की मादर को मेहर में मिला हौज़े कौसर
या हुसैन या हुसैन या हुसैन
हाय
एक मकतल में बहत्तर लाशे
भांजे बेटे भतीजे प्यासे
पारा पारा हुए सारे ऐसे
ऐक क़ुरान के पारे जैसे
ख़ाक उड़ उड़ के शहीदों का कफ़न बनती थी
खुल्द से फ़ातेमा ज़हरा की सदा आती थी
या हुसैन या हुसैन या हुसैन
हाय
एक तरफ़ बहता था दरिया ए फ़ुरात
एक तरफ़ प्यासों पे मुश्किल थी हयात
बाद ए शब्बीर असीरों की ये रात
कैसे गुज़री तने सद पाश के साथ
कोई भाई को कोई रोती थी बेटों के लिए
बेकसी वो थी कि आंसू ना थे आंखों के लिए
या हुसैन या हुसैन या हुसैन
हाय
फ़ातेमा ज़हरा ये देती हैं दुआ
ता क़यामत रह् ये फ़र्श ए अज़ा
यूं ही आती रहे मातम की सदा
हुसैन या हुसैन, हुसैन या हुसैन, हुसैन या हुसैन
यूं ही आती रहे मातम की सदा
हो हर एक लब पे हुसैनी नौहा
हश्र में शह के अज़ादारों से पुरसा लूंगी
मैं अज़ादारों को जन्नत की बशारत दूँगी
या हुसैन या हुसैन या हुसैन
हाय
अलविदा लाशे ग़रीबुल ग़ुरबा
अलविदा लाशे जमीयन शोहदा
अलविदा बे कफ़नो बे वतना
अलविदा आल ए ग़रीब ए ज़हरा
जिंदगी है तो ये सीना हैं, ये आंसू हाज़िर
वर्ना मौला है हमारा ये सलामे अख़िरी
या हुसैन या हुसैन या हुसैन
हाय
करते हैं सरवरो रेहान दुआ
हम से राज़ी हों जनाबे ज़हरा
दिल की धड़कन में है मातम की सदा
सारे आलम में बिछे फ़र्श ए अज़ा
नस्ल दर नस्ल ये मातम ये अज़ादार रहें
पंजतन पाक सदा इन के मददगार रहें
या हुसैन या हुसैन या हुसैन