भाई की क़ब्र पर कह रही थी बहन अलविदा अलविदा
अए मेरे भाई ऐ बे ख़ता बे कफन अलविदा अलविदा
आप के बाद क़ैदी बनाई गई
बे रिदा कूचा कूचा फिराई गई
बाज़ुओं में हमारे बंधी थी रसन अलविदा अलविदा...
दर बदर हमको ज़ालिम फिराते रहे
पुश्ते आबिद पे दुरें लगाते रहे
ज़ुल्म सहता रहा लाग़रो खस्तातन अलविदा अलविदा
हाए बाज़ारे शाम आया है जिस घड़ी
हमपे पत्थर बरसने लगे ऐ अख़ी
ख़ून में तर बतर थे हमारे बदन अलविदा अलविदा...
कोई कहता था क़ैदी हैं मारो इन्हें
कोई कहता था बाग़ी पुकारो इन्हें
मार के हमको हंसते थे सब मर्दो ज़न अलविदा अलविदा
क़ब्रे सरवर से उट्ठी जो बिन्ते अली
तुरबते शह से आवाज़ आने लगी
तेरा हाफ़िज़ ख़ुदा मेरी प्यारी बहन अलविदा अलविदा...
क़ाफिला कर्बला से जो चलने लगा
रो के जै़नब ने वाएज़ ये नौहा पढ़ा
हाए लूटा गया फ़ातेमा का चमन अलविदा अलविदा...