एक बार और मुझे गोद में ले लो बाबा
वा हुसैन का हुआ शोर हरम में बरपा,
होके रुख़सत जो चले घर से शहे करबोबला
कह के ये दौड़ी सकीना के ठहर जाओ ज़रा
एक बार और मुझे गोद में ले लो बाबा
शह ने बच्ची का जो ये हाल परेशां देखा
रोके फरमाया के क्या हाल मेरी माहेलका
जोड़कर नन्हे से हथों को सकीना ने कहा
एक बार और मुझे गोद में ले लो बाबा
सोचती हूं के तमाचे कोई मारे न मेरे
गोशवारे कोई कानों से उतारे न मेरे
वहम आते हैं मेरे दिल में ना जाने क्या क्या
एक बार और मुझे गोद में ले लो बाबा
मै समझजी हूं के यूही मुझे बहलाते हो
था ना मालूम के मरने के लिए जाते हो
तुम हमेशा के लिए होते हो अब मुझसे जुदा
एक बार और मुझे गोद में ले लो बाबा
बाबा सीने से सकीना को लगाते जाओ
अब कहां होगी मुलाक़ात बताते जाओ
तुमको अकबर की क़सम ग़ुन्चा दहन का सदक़ा
एक बार और मुझे गोद में ले लो बाबा
क्या खबर तुम से कोई बात भी अब हो के ना हो
कौन जाने के मुलाकात भी अब हो के ना हो
दिल धड़कता है मेरा बहरे नबी बहरे खुदा
एक बार और मुझे गोद में ले लो बाबा
अपनी आगोश में ऐ बाबा छिपा लो मुझको
आखिरी बार कालेज से लगालो मुझको
जीते जी आह कहां अब तुम्हें पाऊंगी भला
एक बार और मुझे गोद में ले लो बाबा
तुम ना आओगे तो ऐ बाबा बहुत रोऊंगी,
किस के सीने पे बता दीजिये फिर सोऊंगी,
ना तो भइया अली अकबर है ना अब्बास चाचा
एक बार और मुझे गोद में ले लो बाबा
ज़ब्त की ताब न मौला को रही ऐ अनवर
हाथ फैला के बढ़े बेटी की जानिब सरवर
जिस घड़ी बेकसो मासूम ने रो रो के कहा
एक बार और मुझे गोद में ले लो बाबा