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Monday, July 11, 2022

कह रही थी ये बाली सकीना

  

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कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है

हो गए क़त्ल मकतल में बाबा

कोई मेरा सहारा नहीं है


कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है


किस से पानी का शिकवा करूंगी

उम्र भर अब मुसीबत सहूंगी

आ गया रास अम्मू को दरिया

कोई मेरा सहारा नहीं है


कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है


मर गए रन में अब्बासो अकबर

अब न क़ासिम रहे और न असग़र

हो गई आज से बे-सहारा

कोई मेरा सहारा नहीं है


कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है


लोरियां दे के किस को सुलाऊं

किस को अपने गले से लगाऊं

मर गया रन में असग़र भी मेरा

कोई मेरा सहारा नहीं है


कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है


कैसे बारे मसायब उठाऊं

डर ये है मैं कहीं मर न जाऊं

जिंदगी ने दिया ऐसा तोहफा

कोई मेरा सहारा नहीं है


कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है



क्या करूं कोई शिकवा किसी से

अब तो है ढारस बस एक फुफी से

कौन आएगा देने दिलासा

कोई मेरा सहारा नहीं है


कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है


हाय असग़र भी रन को सिधारा

हो गई आज से बेसहारा

अब झूलाऊंगी मैं किसको झूला

कोई मेरा सहारा नहीं है


कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है


चारों जानिब से घेरे हैं लश्कर

लूटने आ रहे हैं सितमगर

आ गया वक़्त बे चादरी का कोई मेरा सहारा नहीं है


कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है



कह रही थी ये जब बिन्ते सरवर

करवटें ले रहे थे बहत्तर

क्या नहीं कोई मेरा सहारा

कोई मेरा सहारा नहीं है


कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है


मुनहरिफ़ इस क़दर था ज़माना

रास आया नहीं क़ैद खाना

मर गई कहते कहते सकीना

कोई मेरा सहारा नहीं है


कह रही थी ये बाली सकीना कोई मेरा सहारा नहीं है