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Tuesday, July 5, 2022

शबीहे पयंबर अकबर


शबीहे-पयंबर अकबर, नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर, नौहा करे मां


अरमान बहुत था मैं तेरी शादी रचाऊं

एक रोज़ दुल्हन चांद सी मैं ब्याह के लाऊं

पर लाश पे रोती है तेरी कोख जली मां

शबीहे-पयंबर अकबर नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर नौहा करे मां


ज़िन्दा थे तुम्हे देख के अब कैसे जियेंगे

सोचा था तेरे ब्याह की पोशाक सियेगें

पर तुझको कफ़न भी न मिला हाय मेरी जां

शबीह-ए-पयंबर अकबर नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर नौहा करे मां




रोती है फुफी जिस ने तुझे लाड से पाला

तुम क्या गए रुख़सत हुआ इस घर‌ से उजाला

एक बाप जयीफ़ी में हुआ बे सरो-सामां

शबीह-ए-पयंबर अकबर नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर नौहा करे मां


मर जाए जवां लाल अगर दूर वतन से

महरूम हो ग़ुरबत के सबब गोरो-कफ़न से

तड़पाता है इस‌ वक़्त में क्या तंगी-ए-दामां

शबीह-ए-पयंबर अकबर, नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर नौहा करे मां


अब्बास का सदमा भी अभी कम न हुआ था

ऐसे मे मेरी जां तेरा वक़्ते अजल आया

तुम मर गए क्यो मर न गई लाल तेरी मां

शबीह-ए-पयंबर अकबर, नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर नौहा करे मां


बीमार बहन तकती है बेटा तेरा रस्ता

परदेस में आए तो रहा याद न वादा

मकतल किया आबाद मदीना किया वीरां

शबीह-ए-पयंबर अकबर नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर नौहा करे मां


फिरता है मेरी आंखों में अब तक वही मंजर

ऐ जाने-पिदर नूरे-नज़र ऐ अली अकबर

हमशक्ले-नबी कहते थे तुमको शहे ज़ीशां

शबीह-ए-पयंबर अकबर नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर नौहा करे मां




अल्लाह निगेहबान तुम्हारा मेरे प्यारे

हम लोग रसन बस्ता सुए शाम सिधारे

सोता है तेरे साथ यहीं असग़रे नादां

शबीहे पयंबर अकबर नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर नौहा करे मां


प्यासे थे बहुत प्यास ये किस तरह बुझाई

क्या चाँद से सीने पे सिना ज़ुल्म की ख़ाई

तुम सोते हो मां जाती है बेटा सुए जिंदां

शबीहे पयंबर अकबर नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर नौहा करे मां


रेहान ये क्या ख़ूब लिखा ग़म का फ़साना

ज़हरा ने तुझे बख़्शा है लफ़्ज़ों का ख़ज़ाना

ले हो गया बख़्शिश का तेरी हश्र में सामां

शबीहे पयंबर अकबर, नौहा करे मां

शाह का दिलबर अकबर नौहा करे मां