header 2

Thursday, June 9, 2022

मोहम्मद हाय मोहम्मद सुनो फरियाद

 

मोहम्मद हाय मोहम्मद सुनो फ़रियाद मोहम्मद


जल्लाद आस्तीन चढ़ाता हुआ चला

ख़न्जर को उंगलियों पे फिराता हुआ चला

मजमे को रास्ते से हटाता हुआ चला

अरकाने अर्शे हक़ को हिलाता हुआ चला


अब क्या कहूं कि पांव रखा किस मुक़ाम पर

फटता है सीना हाले शहे तश्नाकाम पर


रूहे रसूल कहती है जल्लाद रहम कर

ये मेरा नूरे ऐन है ये है मेरा पिसर

ये सीना मेरा सीना है ये सर है मेरा सर

ये दिल है मेरा दिल है ये जिगर मेरा जिगर


तू बैठा हुसैन दिलावर के सीने पर

जो खेलता था तेरे पयंबर के सीने पर


ज़हरा पुकारी अर्शे इलाही हिलाऊंगा

ऐ शिम्र तुझपे आह की बिजली गिराऊंगी

इसको न मारेगा तो दुआ देती जाऊंगी

महशर में हुर से पहले तुझे बख़्शवाऊंगी


इस नौहे पर भी अर्श को उसने हिला दिया

ख़न्जर को बोसागाहे नबी से मिला दिया


ग़ुल पड़ गया हुसैन ने सर को फ़िदा किया

आदा ने जश्ने फ़तहे का सामा बपा किया

रुख़ शिम्र ने सूए हरम ए मुस्तफा किया

ऐ शिम्र तूने कैसी क़यामत बपा किया


परदा उठा के देखती थी ख्वाहरे हुसैन

नेज़े पे उसके आगे चढ़ाया सरे हुसैन


ज़ैनब ने हाय भाई कहा और निकल पड़ी

चिल्लाई फिज़्ज़ा हाय ख़ुदा और निकल पड़ी

बानो ने सर से फेंकी रिदा और निकल पड़ी

कुबरा पुकारी वा अबाता और निकल पड़ी


आगे तो बे हवास हरम रोते जाते थे

पीछे पुकारते हुए बच्चे भी आते थे


नागह शह का लाशा जो बेसर नज़र पड़ा

गोया गुले बुरीदा पयंबर नज़र पड़ा

सरताजे अहले बैत ज़मी पर नज़र पड़ा

ज़ैनब को ग़र्क ए खूं जो बरादर नज़र पड़ा


रख कर कटे गले पे गला यूं लिपट गई

समझे ये अहले बैत कि दुनिया उलट गई


ये दिल ख़राश बहन के थे लाश पे बयां

कि वा हुसैन कहती है रो रो के ख़स्ता जां

लेकर बलाएं लाश की करती थीं ये फ़ुग़ां

भइया मिटा गए मेरे मां बाप का निशां


ज़हरा की जान रूहे अली हाय क्या किया

उम्मत ने किस गुनाह पे तेरा सर जुदा किया