ज़ैनब मेरी ज़ैनब ज़ैनब मेरी ज़ैनब
सरे सरवर से ये आई सदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
दयारे शाम जाओ बेरिदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
ये सच है नंगे सर हो और शानों में रसन भी है
जिसे छोड़ा है मक़तल में वो बेगोरो कफ़न भी है
उसी मज़लूम की है ये इल्तेजा ज़ैनब मेरी ज़ैनब-----
सरे सरवर से ये आई सदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
तुम्हारा भाई ग़ैरतदार अब्बासे दिलावर है
उसी मज़लूम का घोड़े की गरदन में बंधा सर है
उसी साबिर का तुमको वास्ता ज़ैनब मेरी ज़ैनब-----
सरे सरवर से ये आई सदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
जनाज़ा जिसका तारीकी में बाबा ने उठाया था
उसी साबिर ने तुमको सब्र भी करना भी सिखाया था
न करना ग़म से घबरा कर गिला ज़ैनब मेरी ज़ैनब-----
सरे सरवर से ये आई सदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
अली जैसे बहादुर बाप की बेटी नहीं रोती
मसायब हंस के सह लेती है और हिम्मत नहीं खोती
तुम्हे कहती है दुनिया साबिरा ज़ैनब मेरी ज़ैनब-------
सरे सरवर से ये आई सदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
बताऊं क्या हैं कितने दाग़ मेरे क़ल्बे मुज़तर में
मैं क़ासिम के हज़ारों टुकड़े लाया एक चादर में
न खोले लब बरा ए बद्दुआ ज़ैनब मेरी ज़ैनब-------
सरे सरवर से ये आई सदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
हमारे बाद ज़ालिम रीसमाने ज़ुल्म बांधेगे
लगाकर आग ख़ैमो में रिदाएं सर से छीनेंगे
सितम की होगी तुम पर इन्तेहा ज़ैनब मेरी ज़ैनब------
सरे सरवर से ये आई सदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
न पाएगी मेरा पहलू तो वो रोएगी रातों में
मेरी बेटी सकीना को दिलासा देना बातों में
यतीमा का तुम्ही हो आसरा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
सरे सरवर से ये आई सदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
अजब मंज़र था वो "काविश" कहा सरवर ने जब सबको
मैं रुख़सत तुमसे होता हूं सलामे आख़िरी ले लो
तुम्हारा है निगेहबां अब ख़ुदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब
सरे सरवर से ये आई सदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब