लो हो गई रिहाई,लो क़ाफेला चला
सर जब हर इक शहीद का सज्जाद को मिला
तब मरक़दे सकीना पे सज्जाद ने कहा
जाग सकीना जाग बाबा का सर आया
बाबा तुम्हारा आया बाबा तुम्हारा आया गया वक़्त नींद का
जाग सकीना जाग बाबा का सर आया
सीने पे सोने वाली मिट्टी पे सो गई
बाबा को रोते रोते जो ख़ामोश हो गई
रो रो के मां ने क़ब्रे सकीना पे ये कहा
जाग सकीना जाग बाबा का सर आया
बीबी करो सलाम अदब का मुक़ाम है
बीबी तेरे सरहाने शहे तश्नाकाम है
ऐ जान जल्दी बदलो ये कुर्ता फटा हुआ
जाग सकीना जाग बाबा का सर आया
बाबा को ढूढ़ती थी सकीना उठो उठो
रातों को जागती थीं सकीना उठो उठो
लो आ गए हैं बाबा ऐ जान जाग जा
जाग सकीना जाग बाबा का सर आया
बाबा के पास सोना न सोना ज़मीन पर
रख्खो लबों को लब पर जबीं को जबीन पर
आदा की घुड़कियों का ज़माना गुज़र गया
जाग सकीना जाग बाबा का सर आया
पैग़ाम रोज़ देती थीं अम्मू के नाम तुम
रोती थीं याद करके उन्हे सुबहो शाम तुम
जागो के जा रहे हैं जहां सोते हैं चचा
जाग सकीना जाग बाबा का सर आया
किस तरह सोई बाली सकीना न पूछिए
रंजो अलम से फटता है सीना न पूछिए
जागी न फिर कभी वो बहुत मां ने दी सदा
जाग सकीना जाग बाबा का सर आया
सदियां गुज़र गई हैं मगर सरवरो रेहान
ज़िन्दाने शाम रोए तो रोता है आसमान
अब भी पुकारते हैं यही शाहे करबला
जाग सकीना जाग बाबा का सर आया