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Monday, April 18, 2022

नींद आएगी जब आपकी

 


जब ख़ैमों मे रुख़सत को शहे बहरोबर आए

चिल्लाई सकीना मेरे बेकस पिदर आए

शह कहते थे बीबी हमें रोकर न रुलाओ

फिर प्यार करें हम तुम्हें मुंह आगे तो लाओ

वो कहती थी हमराह मुझे लेके तो जाओ

मैं क्या करूं मैदान में गर जा के न आओ


नींद आएगी जब आपकी बू पाऊंगी बाबा चली‌‌आऊंगी बाबा



फरमाया‌ निकलती नहीं सैदानियां बाहर

सीने पे सुलाएंगी तुम्हें रात में मादर

क्यों कहती हो मकतल में चली आऊंगी बाबा

मैं रात को मकतल‌ में  चली आऊंगी बाबा


नींद आएगी जब आपकी बू पाऊंगी बाबा चली‌‌आऊंगी बाबा


नन्हे से कलेजे पे मेरे चलती है तलवार

खुलता नहीं क्यों आपने बांधे हैं ये हथियार

मैं आपको खोकर न कभी पाऊंगी बाबा

मैं रात को मकतल में चली आऊंगी बाबा


नींद आएगी जब आपकी बू पाऊंगी बाबा चली‌‌आऊंगी बाबा



आती है बला सर पे तो पहले मुझे वारो

मर जाऊंगी बाबा न सिधारो न सिधारो

जओगे जहां मैं भी वहां जाऊंगी बाबा

मैं रात को मकतल में चली आऊंगी बाबा


नींद आएगी जब आपकी बू पाऊंगी बाबा चली‌‌आऊंगी बाबा



शब होएगी तो फिर ख़ाक पे सोएंगे कहां आप

सीने पे तो असग़र को सुलाएंगे वहां आप

अच्छा मैं वहीं ख़ाक पे सो जाऊंगी बाबा

मैं रात को मकतल में चली आऊंगी बाबा


नींद आएगी जब आपकी बू पाऊंगी बाबा चली‌‌आऊंगी बाबा


आने दो अगर प्यास से ग़श आएगा बाबा

तुम जीते रहो पानी भी मिल जाएगा बाबा

मैं आपको देखूंगी तो जी जाऊंगी बाबा

मैं रात को मकतल में चली आऊंगी बाबा


नींद आएगी जब आपकी बू पाऊंगी बाबा चली‌‌आऊंगी बाबा


कुछ दूर न थे हम प तुम्हें नींद न आई

क्या होएगा जब होगी महीनों की जुदाई

बीबी‌ न कहो मैं नहीं सो पाऊंगी बाबा

मैं रात को मकतल में चली आऊंगी बाबा


नींद आएगी जब आपकी बू पाऊंगी बाबा चली‌‌आऊंगी बाबा


वो हाल अनीस अब नहीं हो सकता है मरक़ूम

जिस तरह छुटी बाप से वो दुख़तरे मज़लूम

नौहा था यही जिसका ना जी पाऊंगी बाबा

मैं रात को मकतल में चली आऊंगी बाबा


नींद आएगी जब आपकी बू पाऊंगी बाबा चली‌‌आऊंगी बाबा