जिंदगी का भरोसा नहीं ज़िक्रे हैदर किया कीजिए
आक़ेबत भी संवर जाएगी ये फ़रीज़ा अदा कीजिए
लाख सजदे किए जाइए फिर भी बख्शीश ना हो पाएगी
ये मुहम्मद का फ़रमान है इन के घर से वफ़ा कीजिए
मर भी जाये तो मरते नहीं हम तो कसरत से डरते नहीं
कुफ़्र है गर विलाय अली हम को काफ़िर कहा कीजिए
दर पे आकर ये शब्बीर के एक रहीब ने की इल्तेजा
मैं सावली हूं शाह ए जमां मुझको बेटे अता कीजिए
बुग्ज़ ए हैदर है बुग्ज़ ए नबी ये नजासत है सब से बड़ी
जो अली से अदावत रखे दूर उस से रहा कीजिए
दो फ़राक़ैन में ऐक ही हक़ पे होता है ऐ दोस्तों
कौन जंग ए जमल में मगर हक़ पे था फैसला कीजिए
या अली आप मुख्तार हैं अन्बिया के मददगार हैं
जितने मोमिन हैं उक़्दे कुशा उनकी हाजत रावां कीजिए
आल ए अहमद के ज़ाकिर मुहिब ज़िक्र गैरों का करते नहीं
आप शायर हैं इमरान के मनक़बत ही लिखा कीजिए