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Monday, April 18, 2022

ज़िंदगी का भरोसा नहीं

 

 

जिंदगी का भरोसा नहीं ज़िक्रे हैदर किया कीजिए

आक़ेबत भी संवर जाएगी ये फ़रीज़ा अदा कीजिए


लाख सजदे किए जाइए फिर भी बख्शीश ना हो पाएगी

ये मुहम्मद का फ़रमान है इन के घर से वफ़ा कीजिए


मर भी जाये तो मरते नहीं हम तो कसरत से डरते नहीं

कुफ़्र है गर विलाय अली हम को काफ़िर कहा कीजिए


दर पे आकर ये शब्बीर के एक रहीब ने की इल्तेजा

मैं सावली हूं शाह ए जमां मुझको बेटे अता कीजिए


बुग्ज़ ए हैदर है बुग्ज़ ए नबी ये नजासत है सब से बड़ी

जो अली से अदावत रखे दूर उस से रहा कीजिए


दो फ़राक़ैन में ऐक ही हक़ पे होता है ऐ दोस्तों

कौन जंग ए जमल में मगर हक़ पे था फैसला कीजिए


या अली आप मुख्तार हैं अन्बिया के मददगार हैं

जितने मोमिन हैं उक़्दे कुशा उनकी हाजत रावां कीजिए


आल ए अहमद के ज़ाकिर मुहिब ज़िक्र गैरों का करते नहीं

आप शायर हैं इमरान के मनक़बत ही लिखा कीजिए