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Thursday, April 21, 2022

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं

 

इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


देखकर ज़ैनबे दिलगीर का फटता है जिगर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


आंख ज़ैनब से मिलाएं तो मिलाएं कैसे

अपना मुंह बाली सकीना को दिखाएं कैसे

डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक नज़र देख ले अब्बास मेरे भाई मुझे

वरना मारेगा ये एहसास मेरे भाई मुझे

तूने देखा भी नहीं मुझको मैं हूं नंगे सर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


मुझको मालूम है भय्या‌ का वफादार है तू

करबला वाले शहीदों का अलमदार है तू

आज भी तेरे भरोसे पे मैं करती हूं सफर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


जानती हूं कि सकीना से तू शर्मिन्दा है

और तेरे ख़ून में डूबा हुआ मश्क़ीज़ा है

तेरी आंखो में है प्यासों का तड़पता का मंजर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


ये अलग बात है पाबंन्दे रसन हूं भय्या

फख़्र है मुझको कि मैं तेरी बहन हूं भय्या

आज भी फौजे सितमगर को है इस बात का डर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


तेरे होते हुए देखा न किसी ने मुझको

और तेरे बाद में मारा है सभी ने मुझको

हाय दिखलाऊं मैं कोड़ों के निशां अब क्योंकर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


जिस ने आक़ा ही कहा भाई को भाई न कहा

उसका सर कैसे सरे शह के बराबर आता

सच तो ये है कि ये है मां की नसीहत का असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


हाय परदेस मे बेघर नज़र आए ज़ैनब

आंख खोले तो खुले सर नज़र आए ज़ैनब

बंद आखों में छिपाए है बला का मंजर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


जिसके शानो पे था ज़ैनब को भरोसा आसिफ

बेकफ़न उसका तराई पे है लाशा आसिफ

कैसे तहरीर करूं सोच के फटता है जिगर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


इक वफादार की ग़ैरत का ये लगता है असर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर