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Saturday, April 23, 2022

तेरा मेहमान हूं शीरी तेरा मेहमान हूं


तेरा मेहमान हूं शीरी तेरा मेहमान हूं ×3


तू मुझे जान ना पाई ये मैं जनता हूं

तू ना पहचाने मगर मैं तुझे पहचानता हूं

तू ख़तावर नहीं शीरी ये मैं जानता हूं ×2

हाय….. तू ने इस हाल में कब पहले मुझे देखा है


बखुदा जान ले मुझको पहचान ले

तेरा मेहमान हूं शीरी तेरा मेहमान हूं ×2


मै सलामत रहूं मानी थी ये तूने ये मन्नत

हो गई ख़त्म ज़माने से ये तेरी ज़हमत

घर तेरे आज मै मेहमान हुआ इस सूरत

हाय…..सर मेरा नोक ए सिना जिस्म मेरा करबोबला


बाख़ुदा जान ले मुझको पहचान ले

तेरा मेहमान हूं शीरी तेरा मेहमान हूं ×2


याद शीरी तुझे वो होगा ज़माना मेरा

साथ साए की तरह रहता था नाना मेरा

काम जिबरिल का था नाज़ उठाने मेरा ×2

हाय….. आज बेगोरो कफ़न जिस्म है मकतल में पड़ा


बाख़ुदा जान ले मुझको पहचान ले

तेरा मेहमान हूं शीरी तेरा मेहमान हूं ×2


टुकड़े टुकड़े थे पड़े रन में जिगर के पारे

लाश अकबर की उठा लाए न हिम्मत हारे

हौसला देख के हैरां थे फरिश्ते सारे ×2

हाय…. एक मेहमान पे क्या क्या न हुए ज़ुल्मो जफ़ा


बाख़ुदा जान ले मुझको पहचान ले

तेरा मेहमान हूं शीरी तेरा मेहमान हूं ×2


या अली कह के दी मकतल मैं दुहाई मैंने

आस्तीं कोह्नियों तक अपनी चढ़ायी मैने

यूं सिना सीनाए-अकबर से निकली मैंने ×2

हाय….. सामने नजरों के फरजंद ने दम तोड़ दिया


बाख़ुदा जान ले मुझको पहचान ले

तेरा मेहमान हूं शीरी तेरा मेहमान हूं ×2


घर तेरे आया हूं  इस हाल में हैरान ना हो

मेरी मेहमान नवाज़ी में परेशान ना हो

बस दुआ कर मेरे जैसा कोई मेहमान ना हो ×2

हाय….. ऐसे आलम में आएना किसी को भी क़ज़ा


बाख़ुदा जान ले मुझको पहचान ले

तेरा मेहमान हूं शीरी तेरा मेहमान हूं ×2


अश्क़े ख़ू आज भी आंखों से रवां है मीसम

क्यू ना हो करती हैं ख़ुद फातेमा ज़हरा मातम

ख़ाक उड़ाते है सरे ख़ुल्द रसूले अकरम ×2

हाय….. कैसा पुर दर्द है खुर्शीद ये लिखा नैहा


बाख़ुदा जान ले मुझको पहचान ले

तेरा मेहमान हूं शीरी तेरा मेहमान म ×3