header 2

Friday, December 10, 2021

rahe haq ka bahut hai

 

राहे हक़ का बहुत है कठिन रास्ता

रास्ते के लिए रहनुमा चाहिए

ख़ुल्द के रास्तों को है जो जानता

उस अली का हमें आसरा चाहिए


क़ब्र क्या है अंधेरा सा घर है जहां

मारेफ़त के सिवा कोई सपना नहीं

वो बहुत ही अंधेरी जगह है वहां

कोई यावर नहीं कोई अपना नहीं

तुमसे मिलने लहद में अली आएंगे

बोलो तनहाई में और क्या चाहिए


सात नस्लों को पहले है ये झांकती

इनमें मोमिन तो कोई नहीं आ रहा

हो यक़ीं इनमें कोई भी मोमिन नही

उस मुनाफ़िक का ये काटती है गला

ये जो तलवार है थामने के लिए

आज भी दस्ते शेरे ख़ुदा चाहिए


क़ब्र में मेरे मुझको उतारा गया 

तो नकीरैन मुझसे ये कहने लगे

महफ़िले मर्तज़ा को सजाओ यहां

इक़ कसीदा हमें भी सुनाओ ज़रा

सब दिवाने अली के हैं बैठे यहां

बोलो ज़किर तुम्हें और क्या चाहिए