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Monday, October 26, 2020

ai shahe karbala

ऐ शहे करबला अलविदा अलविदा

बे कफ़न बे ख़ता अलविदा अलविदा


आओ मातम करें आओ रिक़्कत करें

दिलबरे फातेमा शह को रुख़सत करें

दिल हुआ ग़म ज़दा अलविदा अलविदा


ये सदाओ फुगां और ये मजलिसें

लब पे गिरिया कुनां ग़म की ये ज़ीनतें

अब मिलेंगी कहां अलविदा अलविदा


ऐ मेरे मेहमां लो ये आख़िर सलाम

तुझ पे‌‌ जां कुरबां‌ लो ये आख़िर सलाम

दीन के रहनुमां अलविदा अलविदा


बख़्श देना हमें हो गई जो ख़ता

हक़ ए गिरिया न हम से अदा हो सका

हिन्द के मेहमां अलविदा अलविदा


गर जो ज़िन्दा रहे साल आइन्दा हम

रोएंगे हम तेरे ग़म में मिलकर बहम

हाय रौनक़े अज़ा अलविदा अलविदा


अलविदा ऐ शहे मशराक़ैन अलविदा

बिन्ते अहमद के ऐ नूरे ऐन अलविदा

रहबरे दो जहां अलविदा अलविदा