उसी की जन्नत है उसी का कौसर है
जिसके दिल में विलाए हैदर
सारी दुनिया के बादशाहों से
अली का ग़ुलाम बेहतर है।
अली का नाम जमानत है कामयाबी की
अली के प्यार से जन्नत जरूर मिलती है
अली के बुग्ज़ में कुछ और मिले या ना मिले
मगर ये तय है के लानत ज़रूर मिलती है।
ये उस तरफ से कंल्बे मुनाफिक़ पे चोट है
अल्ला का अली को मुकम्मल सपोर्ट है
काबे में कर्बला में बस इतना फर्क़ है
ये हाई कोर्ट और वो सुप्रीम कोर्ट है
देखो हुसैन आते हैं अहले अज़ा के साथ
कहदो ये जिबराईल से जन्नत खुली रहे
अब्बास चाहते थे कि मिल जाए जुल्फेक़ार
शब्बीर सोचते थे क़यामत रुकी रहे
हर तीर हुरमुला तेरा बेकार जाएगा
पोता अली का कैसे भला हार जाएगा
बहलोल तू बहिश्त बना और मैं ताज़िया
देखेंगे किस तरफ को खरीदार जाएगा
पैदल चलेगी सारी रेयाया यज़ीद की
नेज़े पे कर्बला का ज़मीदार जाएगा
मुह पे दरिया के जो अब्बास ने मारा पानी
डर के मारे कभी सिमटा कभी भागा पानी
ग़मे शब्बीर को कहते हैं जो बिदअत बिदअत
दिल कहता उन्हे भेज दूं काला पानी
तुझको ठुकरा दिया ख़ुद तेरे ही बेटे ने यज़ीद
डूब मर हो जो मयस्सर कहीं गंदा पानी
नबी का अज़्म रखते हैं अली की शान रखते हैं
ज़माने भर में अपनी अलग पहचान रखते हैं
करम की इंतेहा देखो जहां पाया नहीं पानी
हुसैन अब सारी दुनिया को वहां महमान रखते हैं।
दफ्तर हैं ये फरिश्तों की खुफिया रिपोर्ट के
और फैसले हैं गाज़ी की मख़सूस कोर्ट के
मर भी गया तो क़ब्र से ले जाएंगे मलक
जाऊंगा कर्बला मैं बिना पासपोर्ट के
महफिल सजी जो आज शहे ज़ुल्फेक़ार की
नींद उड़ गयी यज़ीद के हर रिश्तेदार की
जो मानता नही है इमामे ज़मान को
पहली पसंद है वही डेंगू बुख़ार की
ओ बेवकूफ ज़हन की बत्ती जला के देख
घर घर में या हुसैन है चश्मा लगा के देख
क्यो दुश्मनी है तुझको इमामे हुसैन से
बेहतर है अपने ख़ून का चेकअप करा के देख
कैसे न हुसैन पे ख़ालिक को नाज़ हो
जिसके पिदर का इश्क़ मुकम्मल नमाज़ हो
फितुरुस को पर मिले जो इमामे हुसैन से
ऐसे उड़ा कि जैसे कि कोई जहाज़ हो
जो बाबे शहरे इल्म का शैदा हुआ नही
उसका पिता है कौन किसी को पता नहीं
ता उम्र उसकी नस्ल रहेगी अंगूठा टेक
काग़ज़ कलम रसूल को जिसने दिया नहीं