इलाही अल मदद है रास्ता दुश्वार पानी में
क़दम रखता नहीं है फिक़्र का रहवार पानी में
है ऐसी बहर जिस पर अश्क़ बहरे बेकरां तो है
रदीफ ऐसी कि डूबे काफिया हर बार पानी में
जहां हर मिसरा आता हो लिबासे तशनगी पहने
वहां मुमकिन नही सैराबिए अशआर पानी में
बना दे आइना हर मौज को हुस्ने तक़ाउल से
सवांरू गेसुए मदहे अलमबरदार पानी में
इधर सक़्काए अहले बैत मश्क़ीज़े को भरता था
उधर पीती थी मौजें शरबते दीदार पानी में
परखना आग में सोने का सुनते आए हैं लेकिन
अली के लाल का परखा गया किरदार पानी में
मुक़ाबिल शेर के आते जो पहरेदार पानी में
तो होते एक के दो और दो के चार पानी में
बशर के सब इरादे प्यास में यूं टूट जाते है
बिखर जाती है जैसे रेत की दीवार पानी में
अगर मौजे मुख़ातिब हों किसी के ख़ुश्क होठों से
तो नामुमकिन है पानी से करे इनकार पानी में
मगर अब्बास को क्या तौसने अब्बास को देखो
खड़ा है मुंह उठाए तश्नालब रहवार पानी में
सुबूते क़ब्ज़ाए सक़्क़ा है दरिया पर अभी रौज़ा
बताता है उतर कर सयाए दीवार पानी में