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Friday, March 27, 2020

ali ke sath hai



सभी खुश हैं खुदाई भी खु़दा भी 
अली के साथ है ज़हरा की शादी

लड़का है ख़ुदा के घर का लड़की है नबी के घर की
वो अर्ज़ो समां का मालिक ये मलिका बहरोबर की
ज़मी रक़सां है रक़सां आसमां भी अली के साथ है ज़हरा की शादी

हैदर हैं कुल्ले इमां और कुल्ले इसमत ज़हरा
उस सर पे वफ़ा का सेहरा इस सर पे हया का सेहरा
वो शहज़ादा है और ये शाहज़ादी अली के साथ है ज़हरा की शादी

खेती बिछाया सब्ज़ा सूरज ने उजाले बांटे
ख़ुद दस्ते खुदा ने शब के आंचल में सितारे टांके
हुई रंगीं‌ जो थी तसवीर सादी अली के साथ है ज़हरा की शादी

बोला ये ख़ुदा हर जानिब रहमत की घटा बरसेगी
जो बुग्ज़ से बंजर होगी बस वो ही ज़मीं तरसेगी
उठो जिबरील ये करदो मुनादी अली के साथ है ज़हरा की शादी

दुनिया ने संवारा ख़ुद को अन्दाज़ नए अपनाए
तहज़ीब ने ज़ेवर बदले मलबूस नए सिलवाए
महक उट्ठी नसब की पाक वादी अली के साथ है ज़हरा की शादी

दूल्हा के रूप में प्यारे अली इब्ने अबी तालिब हैं
था बाप भी सब पे ग़ालिब ये भी कुल्ले ग़ालिब हैं
ये दमादे नबी हैं और वो समधी अली के साथ है ज़हरा की शादी

बारात चली हैदर की रहमत के साए साए
बारात के आगे आगे क़ुरान क़सीदे गाए
नबी सारे चले बनकर बराती अली के साथ है ज़हरा की शादी

तोहफे में मिले मैके से इन्हे जन्नत और कौसर तो
ये सारा नमक और पानी हक़ महर मिला ज़हरा को
सलामी में मिली मर्जी ख़ुदा की अली के साथ है ज़हरा की शादी

क़ुदरत की तरफ से इनको अभी तोहफे और मिलेंगे
कल इनके हसीं आगन में दो असली फूल खिलेंगे
हसीं शजरे इन्हे देंगे सलामी अली के साथ है ज़हरा की शादी

अब चाहे कोई भड़के अब चाहे कोई तड़पे
अब मेरी बला से चाहे मर जाए कोई जल जल के
ख़ुशी की बात थी मैने सुना दी अली के साथ है ज़हरा की शादी

कैसे हो बयां वो मंज़र जब ख़त्म हुई सब रस्मे
कौनैन की हर शै गौहर कहती थी खाकर क़समें
मुबारक हो मुबारक है ये शादी अली के साथ है ज़हरा की शादी