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Tuesday, July 30, 2019

is baat se mahsoos


इस बात से महसूस करो क्या है सकीना

अब्बास केे होंठों का क़सीदा है सकीना


आइंना-ए-ज़हरा  में जो देखा तेरा बचपन

 हर अक्स पुकारा केे तू ज़हरा है सकीना


रद हो नहीं सकती वो दुआ शहरे वफा में

जिस हर्फे वफा का तू वसीला है सकीना


जो मश्क़ में भर सकता है दुनिया के समंदर

 कौनैन में बस वो तेरा सक़्क़ा  है सकीना


दरियाओं के लब नोके क़लम चूम रहे हैं

मैने अभी लिखा नहीं सोचा है सकाना


पेशानिए ज़िदां पे ये तहरीर है अब तक

ज़ालिम तो फ़ना हो गया ज़िन्दा है सकीना


जो हर्फे सना ज़हन पे उतरा है सकीना

अब्बास अलमदार ने बख़्शा है सकीना


जो प्यास केे परचम  की अलमदार है अब तक 

अब्बास की वो प्यारी सकीना है सकीना 


अब्बास की नज़रो से कोई पढ़ केे तो देखे

 एहसास की एक नहजे बलाग़ा है सकीना


हर उम्र केे हैदर ने झुलाया तेरा झूला 

ये औज फक़त तूने  ही पाया है सकीना


अलफ़ाज़ के लशकर मेरी चौखट पे खड़े हैं

ये आप की मिदहत का नतीजा है सकीना