आज भी ज़ैनब की आती है सदा भाई हुसैन
तेरा चेहरा तेरी आँखें भूल कब पाई हुसैन
चलते नाक़े से गिराया खुद को जलती रेत पर (x2)
घुटनियों के बल मैं तेरी लाश तक आई हुसैन.
बस मैं घबराई थी खन्जर तुझपे चलता देख कर (x2)
फिर किसी मुश्किल में घिर कर मैं न घबराई हुसैन.
कौन था जो मरने वालों में नहीं था खूबरू(x2)
भूलने बैठी तो किस किस की न याद आई हुसैन.
बहते थे आँखों से आँसू बस तेरी रुक़सत केे वक़्त (x2)
फिर कोई आंसू न टपका आँख पथराई हुसैन.
हाथ में कूज़े लिए सब आसमा तकते रहे (x2)
अब्र ने एक बूँद पानी की न बरसायी हुसैन.
दूर उफ्ता दा सफर से लौट कर मैंने नवेद (x2)
ठंडा पानी जब पिया बस तेरी याद आयी हुसैन