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Thursday, August 1, 2019

aaj bhi zainab ki ati hai



आज भी ज़ैनब की आती है सदा भाई हुसैन
तेरा चेहरा तेरी आँखें भूल कब पाई हुसैन

चलते नाक़े से गिराया खुद को जलती रेत पर (x2)
घुटनियों के बल मैं तेरी लाश तक आई हुसैन.

बस मैं घबराई थी खन्जर  तुझपे चलता देख कर (x2)
फिर किसी मुश्किल में घिर कर मैं न घबराई हुसैन.

कौन था जो मरने वालों में  नहीं था खूबरू(x2)
भूलने बैठी तो किस किस की न याद आई हुसैन.

बहते  थे आँखों से आँसू बस तेरी रुक़सत केे वक़्त (x2)
फिर कोई आंसू न टपका आँख पथराई हुसैन.

हाथ में कूज़े लिए सब आसमा तकते रहे (x2)
अब्र ने एक बूँद पानी की न बरसायी हुसैन.

दूर उफ्ता दा सफर से लौट कर मैंने नवेद (x2)
ठंडा पानी जब पिया बस तेरी याद आयी हुसैन