header 2

Thursday, June 19, 2025

आजा आजा अली असग़र आजा

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️आजा आजा अली असग़र आजा🕊️

गिरियाकुना है सारी दुनिया लाल मेरे तुझ पर



बिन तेरे न जी पाएगी दुखियारी मादर


कैसे जियूंगी लाल बता दे मैं बिन तेरे

जीती रही हूँ आज तक मैं तेरे आसरे 2

मैं हूं  यहां पे कै़द वहा तू है ख़ाक पर


तनहा है चादरें छिनी हैं जल चुके ख़्याम

हम को फिराया जाएगा बाज़रो कूफा शाम 2

जाने कहां तमाम हो बेटा मेरा सफ़र


अकबर नहीं है क़ासिमे मुज़तर नहीं रहे

जिस पर यकीं था सानिए हैदर नहीं रहे 2

बाबा तुम्हारे आए न मैंदां से लौट कर


तनहा है तेरी मां मेरे मासूम आ भी जा

जख़्मो से चूर है मेरे मज़लूम आ भी जा 2

बाज़ारे कूफा शाम है और मैं हूं नंगे सर


किसको सुनाऊं लोरियां किसको करूं मैं प्यार

क़िसमत में मेरी लिख्खा बस तेरा इंतेज़ार 2

ज़ुल्मो सितम है और है तनहाई हम सफ़र


नोके सिना से शाम का बाज़ार देख ले

जो हो रहे हैं कुनबे पे आज़ार देख ले 2

आबिद भी चल रहें हैं कमर अपनी थाम कर


मक़तल तो सारा ढूढ़ चुकी हूँ मेरे पिसर

हम कै़द हो चुके हैं और जारी है अब सफ़र 2

महसूस हो रहा है कि ढूढूंगी उम्र भर



बेकस ग़रीब लाग़रो मजबूर मां हसन

कैसे नदीम शाम में जाती वो ख़स्तातन 2

थक हार के वो बैठ गयी कह के ख़ाक पर