🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️आजा आजा अली असग़र आजा🕊️
गिरियाकुना है सारी दुनिया लाल मेरे तुझ पर
बिन तेरे न जी पाएगी दुखियारी मादर
कैसे जियूंगी लाल बता दे मैं बिन तेरे
जीती रही हूँ आज तक मैं तेरे आसरे 2
मैं हूं यहां पे कै़द वहा तू है ख़ाक पर
तनहा है चादरें छिनी हैं जल चुके ख़्याम
हम को फिराया जाएगा बाज़रो कूफा शाम 2
जाने कहां तमाम हो बेटा मेरा सफ़र
अकबर नहीं है क़ासिमे मुज़तर नहीं रहे
जिस पर यकीं था सानिए हैदर नहीं रहे 2
बाबा तुम्हारे आए न मैंदां से लौट कर
तनहा है तेरी मां मेरे मासूम आ भी जा
जख़्मो से चूर है मेरे मज़लूम आ भी जा 2
बाज़ारे कूफा शाम है और मैं हूं नंगे सर
किसको सुनाऊं लोरियां किसको करूं मैं प्यार
क़िसमत में मेरी लिख्खा बस तेरा इंतेज़ार 2
ज़ुल्मो सितम है और है तनहाई हम सफ़र
नोके सिना से शाम का बाज़ार देख ले
जो हो रहे हैं कुनबे पे आज़ार देख ले 2
आबिद भी चल रहें हैं कमर अपनी थाम कर
मक़तल तो सारा ढूढ़ चुकी हूँ मेरे पिसर
हम कै़द हो चुके हैं और जारी है अब सफ़र 2
महसूस हो रहा है कि ढूढूंगी उम्र भर
बेकस ग़रीब लाग़रो मजबूर मां हसन
कैसे नदीम शाम में जाती वो ख़स्तातन 2
थक हार के वो बैठ गयी कह के ख़ाक पर