🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ सहमी सहमी हैं फ़िज़ाएं फिर मोहर्रम आ गया 🕊️
छा गयी ग़म की घटाएं फिर मोहर्रम आ गया
पहनेंगे अहले अज़ा अब आज से काले लिबास
चूड़ियां तोड़ेंगी मांएं फिर मोहर्रम आ गया
ऐ अज़ादारों चलो फिर फातेमा के लाल का
ताज़िया ख़ाना सजाएं फिर मोहर्रम आ गया
कहके या अब्बास हम सीना ज़नी करते हुए
परचमे ग़ाज़ी उठाएं फिर मोहर्रम आ गया
सारी दुनिया पर करे मज़लूमिए सरवर अयां
दासताने ग़म सुनाएं फिर मोहर्रम आ गया
क़ासिमो औनो मोहम्मद के मसायब के तुफैल
फातेमा को घर बुलाएं फिर मोहर्रम आ गया
लहजाए अकबर में देकर फिर अजांने जिक्रे हक़
सोए ज़हनों को जगाएं फिर मोहर्रम आ गया
सारे राहों पर सजाकर नन्हे असग़र की सबील
प्यासों को पानी पिलाएं फिर मोहर्रम आ गया
बन के ख़ुद अपने अमल से मक़सदे शह के नसीर
लेलें ज़हरा की दुआएं फिर मोहर्रम आ गया