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Saturday, June 21, 2025

फुफी आहिस्ता आहिस्ता

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ चला जब क़ाफिला ग्याराह मोहर्रम को असीरों का चुभे पैरों में जब कांटे तो एक बीमार चिल्लाया 🕊️

बहुत दुश्वार है चलना-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता



अगर मैं तेज़ चलता हूं तो खूं ज़ख़्मों से बहता है

जो थक कर बैठता हूं पुश्त पर ज़ालिम का दुर्रा है

अभी तो दूर है कूफा-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता


मुझे अब सांस लेने में बड़ी तकलीफ होती है

कि अब हालत मेरी ख़ुद मेरी बीमारी रोती है

बस अब उट्ठा नहीं जाता-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता


कमर ज़ख़्मी हुई है इतनी मेरी ताज़ियानों से

हैं सारे पैरहन पे जां बजा सब ख़ून के धब्बे

है मुश्किल अब मेरा चलना-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता


जो चलता हूं तो चुभते हैं गले में तौक़ के कांटे

मेरी ग़ुरबत का नौहा पढ़ रहे हैं पांव के छाले

लहू सब बह गया मेरा-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता


सुलगती हैं मेरी ये बेड़ियां अब प्यास के मारे

मुझे अब ख़ाक के ज़र्रे भी तो लगते हैं अंगारे

न छोड़ो अब मुझे तन्हा-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता


भरे हैं झोलियों में पत्थरों को अब तमाशाई

मुझे कर्बोबला से हाय ये क़िसमत कहां लाई

घुटा जाता है दम मेरा-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता


भरे दरबार में सर नंगे तुमको लेके जाना है

सकीना का जनाज़ा हथकड़ी पहने उठाना है

है मुश्किल इमतेहां मेरा-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता



नज़र जब सात सौ कुर्सी नशीं बीमार को आए

रज़ा हाफिज़ ख़ुदा दुश्मन को ये मंजर न दिखलाए

ग़रीब इतना न कह पाया-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता