🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ चला जब क़ाफिला ग्याराह मोहर्रम को असीरों का चुभे पैरों में जब कांटे तो एक बीमार चिल्लाया 🕊️
बहुत दुश्वार है चलना-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता
अगर मैं तेज़ चलता हूं तो खूं ज़ख़्मों से बहता है
जो थक कर बैठता हूं पुश्त पर ज़ालिम का दुर्रा है
अभी तो दूर है कूफा-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता
मुझे अब सांस लेने में बड़ी तकलीफ होती है
कि अब हालत मेरी ख़ुद मेरी बीमारी रोती है
बस अब उट्ठा नहीं जाता-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता
कमर ज़ख़्मी हुई है इतनी मेरी ताज़ियानों से
हैं सारे पैरहन पे जां बजा सब ख़ून के धब्बे
है मुश्किल अब मेरा चलना-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता
जो चलता हूं तो चुभते हैं गले में तौक़ के कांटे
मेरी ग़ुरबत का नौहा पढ़ रहे हैं पांव के छाले
लहू सब बह गया मेरा-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता
सुलगती हैं मेरी ये बेड़ियां अब प्यास के मारे
मुझे अब ख़ाक के ज़र्रे भी तो लगते हैं अंगारे
न छोड़ो अब मुझे तन्हा-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता
भरे हैं झोलियों में पत्थरों को अब तमाशाई
मुझे कर्बोबला से हाय ये क़िसमत कहां लाई
घुटा जाता है दम मेरा-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता
भरे दरबार में सर नंगे तुमको लेके जाना है
सकीना का जनाज़ा हथकड़ी पहने उठाना है
है मुश्किल इमतेहां मेरा-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता
नज़र जब सात सौ कुर्सी नशीं बीमार को आए
रज़ा हाफिज़ ख़ुदा दुश्मन को ये मंजर न दिखलाए
ग़रीब इतना न कह पाया-2 फुफी आहिस्ता आहिस्ता