🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है 🕊️
अपनी फूफी से रन की रुखसत वो माँगता है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
मिटने को है जहाँ से तस्वीर मुस्तफ़ा की
क़ाबू में अब नही है हालत शहे हुदा की
नज़दीक बस अजल है कुछ लम्हा रह गया है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
आऊँगा मैं न वापस उसको भी ये पता है
मकतल से बाप को वो मुड़ मुड़ के देखता है
हसरत से बाप भी तो बेटे को देखता है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
एहसास में जमाए भाई पे हैं निगाहें
अकबर की ले रही है ये दूर से बलायें
वो ख़ाक़े करबला पे करवट बदल रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
अरशे बरी से तारे हसरत से तोड़ती है
अकबर के वास्ते वो लड़ियों को जोड़ती है
उसको नही खबर थी नैज़ा उसे लगा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
राहों में जिसकी सुग़रा शम्मा जला रही है
दिन रात दिल ही दिल में दूल्हा बना रही है
वो एड़ियाँ ज़मीं पर भाई रगड़ रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
जिसके लिए मचलती है सोच कर ये सुग़रा
बांधूगी एक दिन मै भाई के सर पे सेहरा
वो तो अजल का रन मे सेहरा पहन चुका है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
नौशाह जब बनेगा ये सोचती है सुग़रा
छिप जाएगा हसीन फूलो से सारा चेहरा
मालूम क्या कि उसको घेरे हुए क़ज़ा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
दिल में सजा रही है फूलों से जिसका सेहरा
करती थी जिसकी ख़ातिर ये एहतेमांम सुग़रा
मक़तल से उसका लाशा ख़ैमें में आ रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
पूरी तमन्ना होगी गुलज़ार होगा ये घर
आएगा जब पलट कर परदेस से बरादार
लेकिन उसे खबर क्या नरग़े में वो घिरा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
लाशे पे शाह उसके आँसू बहा रहे हैं
बच्चो के साथ मिल कर लाशा उठा रहे हैं
गुलज़ार हसरतों का पामाल हो चुका है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
अम्मार ये बहन से ऐ काश कोई कहता
जिसका पिरो रही तू हसरतों से सेहरा
बांधेगी किसके सर पे अकबर तो मर चुका है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है
शब्बीर का वो बेटा मरने को जा रहा है
सुग़रा वतन में जिसका सेहरा सजा रही है