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Wednesday, June 25, 2025

हाय सुग़रा बता क्या लिखूं

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ हाय सुग़रा बता क्या लिखूं  🕊️

मौला मकतल में सर को झुकाए

लाशे अकबर पे तन्हा खड़े हैं

धीमे धीमे टपकते है आंसू

हाय सुग़रा का ख़त पढ़ रहे हैं

बोले क्या मैं जवाब इसका दूं 

हाय सुग़रा बता क्या लिखूं





मैं तो परदेस में लुट गया 

अपने लश्कर को मैं रो चुका

तेरा बाबा ग़रीब हो गया 

और इसके सिवा क्या लिखूं

हाय सुग़रा बता क्या लिखूं और इसके सिवा क्या लिखूं


आंधियां मेरा घर ले गयीं

मेरा लख़्ते जिगर ले गयी

मेरा नूरे नज़र ले गयी

और इसके सिवा क्या लिखूं

हाय सुग़रा बता क्या लिखूं और इसके सिवा क्या लिखूं


ख़त तेरा अब सुनाऊं किसे

कौन मेरी सदा पर उठे

शब के जागे हुए सो गए

और इसके सिवा क्या लिखूं

हाय सुग़रा बता क्या लिखूं और इसके सिवा क्या लिखूं


हाय सुग़रा वो भाई तेरा

जिसने तुझसे था वादा किया

खा गई उसको करबोबला

और इसके सिवा क्या लिखूं

हाय सुग़रा बता क्या लिखूं और इसके सिवा क्या लिखूं


प्यार तूने है जिसको लिखा

घुटियों भी जो न चल सका

हां वो असग़र भी अब न रहा

और इसके सिवा क्या लिखूं

हाय सुग़रा बता क्या लिखूं और इसके सिवा क्या लिखूं


शब को दूल्हा बनाया जिसे

रास आई न मेंहदी जिसे

रोई सेहरे की लड़ियां जिसे

और इसके सिवा क्या लिखूं

हाय सुग़रा बता क्या लिखूं और इसके सिवा क्या लिखूं


अब सकीना का हाफिज़ ख़ुदा

वक़्त ज़ैनब पे भी है कड़ा

मुझ को घेरे हुए है कज़ा

और इसके सिवा क्या लिखूं

हाय सुग़रा बता क्या लिखूं और इसके सिवा क्या लिखूं


ये तो अच्छा हुआ लाडली

तू मदीने में ही रह गयी

बे रिदाई से तो बच गयी

और इसके सिवा क्या लिखूं

हाय सुग़रा बता क्या लिखूं और इसके सिवा क्या लिखूं




ख़त वो रेहानो सरवर था क्या

ख़ाक से मेरा मौला उठा

लाशे अकबर पे ख़त रख दिया

और इसके सिवा क्या लिखूं


हाय सुग़रा बता क्या लिखूं 

और इसके सिवा क्या लिखूं