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Monday, June 30, 2025

हुसैन मेहमान हो रहे

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ ख़ुलूस से फर्शे ग़म बिछाओ 🕊️

हुसैन मेहमान हो रहे
अलम भी अब्बास का सजाओ 
हुसैन मेहमान हो रहे

ख़याल इस बात का भी रखना

कि एक तश्ना दहन का ग़म है

सबील भी हर तरफ लगाओ हुसैन मेहमान हो रहे


विलाए दीने ख़ुदा हैं सरवर

कमी न हो ख़िदमतों में कोई

ये घर के बच्चों को भी बताओ हुसैन मेहमान हो रहे


लहू लहू है फ़लक का मंज़र

है चांद माहे अज़ा का निकला

जो हक़्के मातम है वो निभाऔ हुसैन मेहमान हो रहे


बलंद आवाज़ से हो गिरिया

ज़मीन के ज़र्रे ज़र्रे रोएं

फ़ुरात अश्क़ो के तुम बहाओ हुसैन मेहमान हो रहे


भुला दो हर एक दिल से रंजिश

सदा ये फ़र्शे अज़ा ने दी है

सभी की मजलिस में आओ जाओ हुसैन मेहमान हो रहे


रिदाएं छीनी गयीं थी जिनकी

वो सारी हमराह बीबियां हैं

सियाह पर्दे भी लेके आओ हुसैन मेहमान हो रहे


न शाहज़ादी को हो शिकायत

ऐ मेरी बहनों सरों को ढ़क लो

दुखे दिलों को न तुम दुखाओ हुसैन मेहमान हो रहे


यही तो माहे अज़ा है जिसमें

बुतूल का घर उजड़ गया था

शहीदे आज़म का ग़म मनाओ हुसैन मेहमान हो रहे


वतन से ऐ दूर रहने वालों

अज़ा के दिन इंतजार में हैं

तुम अपने घर जल्द लौट आओ हुसैन मेहमान हो रहे



यही तो मेयारे ज़िन्दगी है
यही तो है बन्दगी मुदस्सिर
सभी को रूदादे ग़म सुनाओ हुसैन मेहमान हो रहे