🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ जब घिर गए कूफ़े में मुसलिम के दुलारे 🕊️
परदेस में तनहा थे तक़दीर के मारे
दोनो बच्चों का वहां कोई मददगार न था
सिर्फ़ तनहाई थी यावर न थे ग़मख़्वार न था
वो भटकते रहे दर दर कोई दिलदार न था
कोई दोनो की मदद करने को तैय्यार न था
थक कर के जो गिरता कभी छोटा बरादर
चलता था बड़ा भाई उसे गोद में लेकर
छोटे भाई ने बड़े भाई से रोकर पूछा
भइया इतना तो बता दो कि कहां है बाबा
हम मुसाफ़िर हैं यहां कोई नहीं है अपना
हमको परदेस में अब कौन सहारा देगा
हर सिम्त अंधेरा है कहां जाएंगे भाई
लगता है हमें बाबा न मिल पाएंगे भाई
रात काली थी अंधेरे में वो दोनो बच्चे
सहमे सहमे हुए इक पेड़ पे छुप कर बैठे
रात भर लिपटे थे आपस में वो ग़म के मारे
सिसकियां लेते थे और रोते थे चुपके चुपके
आहट जो कोई होती थी घबराते थे दोनो
पत्ते भी खड़कते थे जो डर जाते थे दोनो
इक कनीज़ आई उसे सुबहे था पानी भरना
उसने मासूमों का पानी में जो चेहरा देखा
दोनों बच्चो से ये घबरा के उसी दम पूछा
कौन हो आए कहां से हो बता दो इतना
दोनो ने कहा ज़ख़्म बहुत खाए हैं बीबी
हम लोग मदीने से यहां आए हैं बीबी
नाम यसरब का सुना जब तो वो तड़पी इक बार
लेके बच्चो चली घर की तरफ वो दिलदार
जाके मलकिन से बताने लगी सब हाले ज़ार
मोमिना ने किया शहज़ादों को रो रोकर प्यार
कहने लगी डरना ना मेरी जान हो दोनों
आक़ा के दुलारों मेरे मेहमान हो दोनों
मुतमयिन हो गए जिस वक़्त कि वो माहेलक़ा
ले गई बच्चों हुजरे में कनीज़े ज़हरा
खाना पानी जो दिया बच्चों का दिल भर आया
सामने बच्चों के मां बाप का चेहरा आया
बाबा के लिए महवे बुका हो गए दोनों
बिन खाए पिए रोते हुए सो गए दोनों
हाय मुसलिम के पिसर चांद सितारे दोनों
ख़ौफ़ से चौंक के उट्ठे जो दुलारे दोनों
आहें भरने लगे हुजरे में वो प्यारे दोनों
रोए बे साख़्ता तक़दीर के मारे दोनों
रोने की सदा सुनके उठा हारिसे मलऊन
ख़न्जर लिए हुजरे में गया हारिसे मलऊन
देखा हारिस को जो मासूम बहुत घबराए
ज़ुल्फें ज़ालिम ने जो पकड़ीं तो जिगर थर्राए
ले चला खैंचता मासूमों को ज़ालिम हाए
मोमिना ने कहा हारिस तुझे मौत आ जाए
मासूम हैं परदेसी हैं इन पर न सितम कर
हैदर के गुलेतर हैं ये ज़हरा के गुलेतर
कितना मलऊन था हारिस को तरस ना आया
मोमिना की न सुनी एक उसे क़त्ल किया
बाल बच्चों के पकड़कर वो सितमगर निकला
बच्चे कहते थे हमें मारके क्या पाएगा
दिरहम तुझे दिलवाएंगे जितना तू बता दे
ले चल कि मदीने हमें अम्मा से मिला दे
लेके मलऊन यतीमों को नहर पर पहुंचा
तेग़ मासूमों को दिखला के वो ज़ालिम बोला
तुम ही बतलाओ गला काटूं मैं पहले किसका
छोटे भाई ने गला अपना बढ़ाकर ये कहा
मैं देता हूं सर तेग़ इधर मोड़ दे हारिस
बस मेरे बड़े भाई को अब छोड़ दे हारिस
फिर बड़े भाई ने छोटे को हटाया बढ़कर
रख दिया अपना गला तेग़ के नीचे जाकर
बोला हारिस से कि एहसान ये करना मुझपर
मेरे भाई को दिखाकर न चलाना ख़न्जर
मलऊन था बेदीन था वो दुश्मने हैदर
सर काटा बड़े भाई का छोटे को दिखाकर
छोटे भाई ने लहू भाई का देखा जिस दम
लोटकर ख़ून में भाई के वो तड़पा पुर ग़म
दखकर सूए नहर कहता था करके मातम
भाई ठहरो कि ज़रा देर में आते हैं हम
ये देख के मलऊन ने तलवार चलाई
और हो गई बेकस के सरो तन में जुदाई
छोटे भाई की तरफ भाई का लाशा आया
हाय शहज़ादों का आपस में जो लिपटा लाशा
दोनों मज़लूमों की मज़लूमी पे रोया दरिया
वायज़ जो सितम दोनों यतीमों पे हुआ है
उस ज़ुल्म को लिखकर के क़लम कांप रहा है