🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर 🕊️
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
ये भी देखा है कि वो माँग रहा है पानी
अपना सर पीट रहें हैं मेरे बाबा जानी
पपड़िया प्यास की शिद्दत से पड़ी हैं लब पर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रब से करतीं है मुसल्ले पे दुआ मेरी माँ
बाल बिखराए है वो और उन्हें चैन कहाँ
रोके कहती हैं पलट आ ओ मेरा अकबर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
हाथ सीने पे रखे सोता है मेरा भय्या
उसे मारा किसी ज़ालिम ने जिगर पर नैज़ा
उसकी पोशाक नज़र आई मुझे ख़ून में तर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
एड़ियाँ ख़ाक पे अकबर को रगड़ते देखा
अपने बाबा को भी उस वक़्त तड़पते देखा
ख़ैर से हो मेरे बाबा भी शहे जिन्न-ओ-बशर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
मुझसे मंज़र वो अजब ख़्वाब में देखा ना गया
जब हुआ ऐसा गज़ब ख़्वाब में देखा ना गया
नोके नैज़ा पे नज़र आया मुझे उसका सर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
आ रही है मेरे कानों में सदा रोने की
बाप से भाई से अम्मू से जुदा होने की
डर है बर्बाद ना हो जाए कहीं शह का घर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
ये भी सच है अली अकबर से बहुत दूर हूँ मैं
कैसे दीदार करूँ भाई का मजबूर हूँ मैं
कोई देता नहीं अकबर की मुझे ख़ैर-ओ-ख़बर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
दस मुहर्रम को था सुग़रा का अजब हाल "नवाब"
वो मुसल्ले पे थी बिखराए हुए बाल "नवाब"
रोके के कहती थी वो बोलो ये नौहा पढ़कर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो