🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ बेगोरो बे कफ़न रहा लाशा हुसैन का 🕊️
दफ़नाता कौन क़ैद था कुनबा हुसैन का
गरदन में तौक़ हाथ में हाथ में हथकड़ियां पड़ गयीं
मजबूर होके रह गया बेटा हुसैन का
इक लाडली की नींद में डूबी हुई निगाह
ता उम्र ढूढती रही सीना हुसैन का
उस को ख़बर नहीं थी कि नेज़े पे सर चढ़ा
शीरी को इंतेज़ार था आक़ा हुसैन का
उम्मे रबाब बैठी न साये में उम्र भर
देखा जो धूप में था जनाज़ा हुसैन का
ज़ैनब ने बद् दुआ का इरादा बदल दिया
रोने लगा जो सर सरे नेज़ा हुसैन का
काम आई यूं जले हुए दावन की रौशनी
बेटी ने ढूंढ ही लिया लाशा हुसैन का
सर काटा ज़ालिमों ने लहद से निकाल कर
कितने सितम उठा गया बच्चा हुसैन का
क़ब्रे नबी पे रोके ये ज़ैनब ने दी सदा
नाना मैं लेके आई हूं कुर्ता हुसैन का
अब्बास नामदार के रौज़ पे जाऊंगा
फ़करी वहां सुनाऊंगा नैहा हुसैन का