🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ वादा तिफ़ली का अदा नूरे नज़र करता है 🕊️
आप का लाल मदीने से सफर करता है
क़ब्रे ज़हरा पे ये फरमाते थे रो रो के हुसैन
दिल हुआ जाता है फुरक़त के अलम से बेचैन
अम्मा जाता है वतन छोड़ के ये नूरे ऐन
है यक़ी दिल को मेरे साथ रहोगी तुम भी
होंगे जो मुझपे सितम उनके सहोगी तुम भी
मरहबा मेरी शहादत को कहोगी तुम भी
दी है इसलाम ने नुसरत की दुहाई अम्मा
मार डालेगा ये एहसासे जुदाई अम्मा
है मेरे ख़ून की प्यासी ये ख़ुदाई अम्मा
आप के क़ब्र से बिछड़ूं तो ये मंज़ूर कहां
नतवां दिल पे गिरा रंज का इक कोहे गिरां
अम्मा इज़हारे बयां से मेरी क़ासिर है ज़बां
दिल फटा जाता है तकलीफ बहुत होती है
ज़िन्दगी शामो सहर अश्क़ों से मूं धोती है
मौत भी मेरी मुसीबत पे खड़ी रोती है
हां मगर फर्ज़ इमामत का अदा करना है
दीन की राह में समान बख़ा करना है
और बातिल की हुकूमत को फ़ना करना है
मुझको इस राह में घर बार लुटाना होगा
लौट कर अपने वतन फिर नहीं आना होगा
अम्मा परदेस में दुश्मन ये ज़माना होगा
अपने अकबर से जवां लाल को खोना होगा
दश्त में असग़रे बेशीर को रोना होगा
ख़ाक पे मेरी सकीना का बिछौना होगा
ख़ैमए अहले हरम में ये क़यामत होगी
रन में जब हज़रते क़ासिम की शहादत होगी
तश्नालब बच्चों पे ये और मुसीबत होगी
मेरी क़ुरबानी ये बेकार नहीं जा सकती
तीरगी मर्तबा सूरज का नहीं पा सकती
हश्र तक दीन पे अब आंच नहीं आ सकती