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Sunday, June 22, 2025

सीने पे सोई है मेरे सकीना ज़ैनब न इसको जगाना

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ सीने पे सोई है मेरे सकीना ज़ैनब न इसको जगाना 🕊️

अब न मिलेगा सुकूं इसको बहना ज़ैनब न इसको जगाना




खाए हैं शिम्रे लयीं के तमाचे

देगा नही इसको कोई दिलासे

जाना है सर नंगे करबला से

ज़ैनब न इसको जगाना


मेरी सकीना का दावन जला है

कानो इसके लहू बह रहा है

मेरी लाडली कितनी बेआसरा है

ज़ैनब न इसको जगाना


मुझे दे रही थी वो कब से सदाएं

सितमगर ने की है जो उस पर जफ़ाए

तड़प उट्ठा लाशा मेरा सुन के आहें

ज़ैनब न इसको जगाना


रूदादे ग़म अपनी कहने दो ज़ैनब

कुछ पल मेरे साथ रहने दो ज़ैनब

ग़म की सताई है सोने दो ज़ैनब

ज़ैनब न इसको जगाना


सदमा जुदाई का सह न सकेगी

दिल पे जो गुज़री है कह न सकेगी

मेरे बिना ज़िन्दा रहना सकेगी

ज़ैनब न इसको जगाना


अम्मू के सर को जो देखे यतीमा

शिकवा कोई लब पे आने न देना

शर्मिंदा तुमसे है अम्मू ये कहना

ज़ैनब न इसको जगाना


ज़िन्दां में घबराएगी जब सकीना

यतीमी का एहसास होने न देना

लेने तुम्हे बाबा आएंगे कहना

ज़ैनब न इसको जगाना


ज़ैनब की आंखों से आंसू रवां थे

सकीना को लाशे पिदर से उठा के

दिल कांप जाता था बस इक सदा से

ज़ैनब न इसको जगाना



हर इक अज़ादार देता है पुरसा

रोता है दिल भी अयाज़ो रज़ा का

मज़लूमिए शह का सुनकर ये नौहा

ज़ैनब न इसको जगाना