🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ सीने पे सोई है मेरे सकीना ज़ैनब न इसको जगाना 🕊️
अब न मिलेगा सुकूं इसको बहना ज़ैनब न इसको जगाना
खाए हैं शिम्रे लयीं के तमाचे
देगा नही इसको कोई दिलासे
जाना है सर नंगे करबला से
ज़ैनब न इसको जगाना
मेरी सकीना का दावन जला है
कानो इसके लहू बह रहा है
मेरी लाडली कितनी बेआसरा है
ज़ैनब न इसको जगाना
मुझे दे रही थी वो कब से सदाएं
सितमगर ने की है जो उस पर जफ़ाए
तड़प उट्ठा लाशा मेरा सुन के आहें
ज़ैनब न इसको जगाना
रूदादे ग़म अपनी कहने दो ज़ैनब
कुछ पल मेरे साथ रहने दो ज़ैनब
ग़म की सताई है सोने दो ज़ैनब
ज़ैनब न इसको जगाना
सदमा जुदाई का सह न सकेगी
दिल पे जो गुज़री है कह न सकेगी
मेरे बिना ज़िन्दा रहना सकेगी
ज़ैनब न इसको जगाना
अम्मू के सर को जो देखे यतीमा
शिकवा कोई लब पे आने न देना
शर्मिंदा तुमसे है अम्मू ये कहना
ज़ैनब न इसको जगाना
ज़िन्दां में घबराएगी जब सकीना
यतीमी का एहसास होने न देना
लेने तुम्हे बाबा आएंगे कहना
ज़ैनब न इसको जगाना
ज़ैनब की आंखों से आंसू रवां थे
सकीना को लाशे पिदर से उठा के
दिल कांप जाता था बस इक सदा से
ज़ैनब न इसको जगाना
हर इक अज़ादार देता है पुरसा
रोता है दिल भी अयाज़ो रज़ा का
मज़लूमिए शह का सुनकर ये नौहा
ज़ैनब न इसको जगाना