🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ लो ज़िन्दाने शाम से छुटकर, ज़ैनब आ गई भाई🕊️
अब न यहां से घर जाएगी लौट के ये मा जायी
बाद तेरे ऐसा लूटा घर
सर पे न छोड़ी एक के चादर
खैंच लिया बीमार का बिसतर
देती रही मैं दुहाई-------------
तारीकी रस्ते अनजाने
दुशमन हर सूं नैज़े ताने
करबोबला के बन में न जाने
कैसी शाम थी आई----------
हसरत तो थी जाने मादर
देते इजाज़त गर ये सितमगर
मय्यत पर कुछ देर ठहर कर
रो लेती मा जाई------------
सर खोले बे मकनाओ चादर
आदा ले गए हम को दर दर
क्या बोलूं एक एक क़दम पर
किस किस की याद आई----------
कोड़े जब बीमार पे बरसे
रोते थे हम सब हंसते थे
हुक्म तेरा था हम बेबस थे
झेल गए रुसवाई-----------
चलते चलते शाम जो पहुंचे
कुछ मत पूछो भय्या हमसे
मौत थी बेहतर उस जीने से
मौत मगर ना आई------------
रैशन थे हर गाम पे रस्ते
कूचाओ बज़ार सजे थे
रह गई एक तमाशा बनके
क़दम क़दम मा जाई-----------
हाय मेरा बीमार भतीजा
पल पल ख़ून के आंसू रोया
क्या करती मजबूर थी भय्या
कुछ न बहन कर पाई------------
ग़म से फटा जाता है कलेजा
जागो बरादर उट्ठो भय्या
ले लो उस लाचार का पुरसा
शाम जिसे छोड़ आई-------------
तेरी याद में उस दुखिया के
आंसू एक न पल थमते थे
किस को पता था इस सूरत से
उसको मिलेगी रेहाई------------
तेरी याद जब आती थी वो
रोती थी चिल्लाती थी वो
रोज़ तमाचे खाती थी वो
भाई तेरी शैदाई------------
दर्द का पैकर ग़म की ज़ुबां हूं
एक तस्वीरे आहो फुगां हूं
पुश्त पे मैं दुर्रों के निशां हूं
आज दिखाने आई------------