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Tuesday, August 27, 2024

ऐ मेरे अम्मू जां

 

क्यों आए न पलटकर ऐ मेरे अम्मू जां  

दम आ गया लबों पर ऐ मेरे अम्मू जां  


नेज़े दिखा दिखा कर दुर्रे लगा रहे थे  

मुझको ऐ अम्मू ज़ालिम दर-दर फिरा रहे थे  

मर जाए न ये दुख़्तर ऐ मेरे अम्मू जां  


कानों से खून जारी आंखों से अश्क जारी  

कोई नहीं है यावर, ग़ुरबत है ये हमारी  

चेहरा है ख़ून से तर ऐ मेरे अम्मू जां  


सबके बंधे थे बाज़ू, मेरा बंधा गला था  

पानी जो मांगती थी, कोड़ा मुझे लगा था  

कैदी है तेरी मुज़तर ऐ मेरे अम्मू जां  


जख्मी है पुश्त मेरी, टूटी हैं पसलियां भी  

दुश्वार है ऐ अम्मू अब लेना सिसकियाँ भी  

होते हैं ज़ुल्म मुझ पर ऐ मेरे अम्मू जां  


अरमान है कि जाऊं मैं भी मदीना छुटकर  

लगता है क़ैद में ही मर जाऊंगी मैं घुटकर  

क्या जा सकूंगी ना घर ऐ मेरे अम्मू जां  


इज़ा उठा उठा कर जब थक गई सकीना  

रोकर निशात हाए कहने लगी यतीमा  

ले जाओ मुझको आकर ऐ मेरे अम्मू जां