क्यों आए न पलटकर ऐ मेरे अम्मू जां
दम आ गया लबों पर ऐ मेरे अम्मू जां
नेज़े दिखा दिखा कर दुर्रे लगा रहे थे
मुझको ऐ अम्मू ज़ालिम दर-दर फिरा रहे थे
मर जाए न ये दुख़्तर ऐ मेरे अम्मू जां
कानों से खून जारी आंखों से अश्क जारी
कोई नहीं है यावर, ग़ुरबत है ये हमारी
चेहरा है ख़ून से तर ऐ मेरे अम्मू जां
सबके बंधे थे बाज़ू, मेरा बंधा गला था
पानी जो मांगती थी, कोड़ा मुझे लगा था
कैदी है तेरी मुज़तर ऐ मेरे अम्मू जां
जख्मी है पुश्त मेरी, टूटी हैं पसलियां भी
दुश्वार है ऐ अम्मू अब लेना सिसकियाँ भी
होते हैं ज़ुल्म मुझ पर ऐ मेरे अम्मू जां
अरमान है कि जाऊं मैं भी मदीना छुटकर
लगता है क़ैद में ही मर जाऊंगी मैं घुटकर
क्या जा सकूंगी ना घर ऐ मेरे अम्मू जां
इज़ा उठा उठा कर जब थक गई सकीना
रोकर निशात हाए कहने लगी यतीमा
ले जाओ मुझको आकर ऐ मेरे अम्मू जां