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Sunday, September 17, 2023

उठो सकीना चलें करबला


जिंदां से जब रिहा हुए सदाते कर्बला 

मां ने लिपट के क़बरे सकीना पे दी सदा 

उठो सकीना चलें कर्बला


छोटी सी तुरबत पे मां ने कहा 

उठो सकीना चलेंं कर्बला 

जिंदां से जाता है अब काफ़ेला 

उठो सकीना चलें कर्बला


मुझे शाहज़ादी तुम्हारी क़सम 

न रख्खूगी ज़िंदां से बाहर क़दम 

सफ़र की अब होती है तय्यारियां 

अमारी में बैठे हैं अहल ए हरम 

गुरबत का मेरी तुम्हें वास्ता 

उठो सकीना चलें कर्बला


छोटी सी तुरबत पे मां ने कहा 

उठो सकीना चलें कर्बला


वो पहले के जैसी तो ग़ुरबत नहीं 

ऐ बीबी हमारी वो हालत नहीं 

तुम्हें शामियों से अब ऐ मेरी जां 

कफ़न मांगने की ज़रूरत नहीं 

लो मिल गई है तुम्हारी रिदा 

उठो सकीना चलेंं कर्बला


छोटी सी तुरबत पे मां ने कहा 

उठो सकीना चलें कर्बला


मुझे याद असगर की है बेकसी 

लहद से वो मय्यत निकाली गई 

अकेले मैं रहने ना दूंगी तुम्हें 

भरोसा नहीं शामियों का कोई 

रहते हैं चारों तरफ अश्किया

उठो सकीना चलें कर्बला


छोटी सी तुरबत पे मां ने कहा 

उठो सकीना चलें कर्बला


शामी कहां तुमको बहलाएंगे 

तुम्हारी लहद पर नहीं आएंगे 

रहेगा अंधेरा ही ज़िंदान में 

हरम जब यहां से चलें जाएंगे 

कौन आएगा फिर जलाने दिया 

उठो सकीना चलें कर्बला


छोटी सी तुरबत पे मां ने कहा 

उठो सकीना चलें कर्बला


कहानी पदर की सुनाऊंगी मैं 

अगर नींद आई सुलाऊंगी मैं 

अकेले ना नाक़े पे बेठोगी तुम 

तुम्हे साथ अपने बिठाऊंगी मैं 

अब तो रसन में ना होगा गला 

उठो सकीना चलें कर्बला


छोटी सी तुरबत पे मां ने कहा 

उठो सकीना चलें कर्बला


मुझे मार डालेगा बस ये ही ग़म 

कमर में है बेटी तुम्हारे जो ख़म 

वरम बज़ुओं का मुझे याद है 

तुम्हें तो दिखाई भी देता है कम 

अकबर से बीबी मिलेगी शिफ़ा 

उठो सकीना चलें कर्बला


छोटी सी तुरबत पे मां ने कहा 

उठो सकीना चलें कर्बला


बड़ी देर ठहरी है दरबार में 

यहां पर ना रोको ज़ियादा उन्हें 

के पहलू पे एक हाथ रखे हुए 

सदा दे रही है सकीना तुम्हें 

लेने को आई हैं खुद सय्यदा 

उठो सकीना चलें कर्बला


छोटी सी तुरबत पे मां ने कहा 

उठो सकीना चलें कर्बला


थी ज़िंदां में अकबर अजब वो घड़ी 

रिहाई पे रोती थी हर एक फुफी 

इधर ख़ून रोता था आबिद उधर 

सकीना लहद में तड़पती रही 

जब भी ये मदार ने रो कर कहा 

उठो सकीना चलें कर्बला