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Wednesday, August 9, 2023

ऐ शहे करबला

 



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ऐ शहे कर्बला अलविदा अलविदा

दिलबरे फ़ातेमा अलविदा अलविदा


आओ मातम करें आओ रिक्क़त करें

शह को अश्कों के साये में रुक्सत करें

रोओ अहले अज़ा अलविदा अलविदा


ख़त्म होने को हैं अब ये अय्यामे ग़म

रो ना पाये शहीदों को जी भर के हम

दिल ना ग़म से भरा अलविदा अलविदा


अब ये दिन साल भर बाद आएंगे फिर

हम जो जिंदा रहेंगे तो सजाएंगे फिर

ये अलम ताज़िया अलविदा अलविदा



देखो ग़म की घाटा सी है छाई हुई

चरों जानिब उदासी है छाई हुई

रो रही है फ़िज़ा अलविदा अलविदा


अपने चेहरों को अश्कों से धोते हैं हम

कम से कम जिंदगी भर जो रोते हैं हम

हक़ न होगा अदा अलविदा अलविदा


अपने अब्बास का, अपने शब्बीर का

और अकबर का क़ासिम का बेशीर का

पुरसा लो सय्यदा अलविदा अलविदा



अलक़मा तेरे प्यासे का मातम है ये

मुस्तफ़ा के नवासे का मातम है ये

रोते हैं मुर्तज़ा अलविदा अलविदा


ऐ ख़ुदा ग़म हमेशा ये क़ायम रहे

ये बहारे अज़ा यू ही क़ायम रहे

मांगो नैय्यर दुआ अलविदा अलविदा