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Tuesday, July 12, 2022

आजा असग़र की जगह मेरी सकीना

  

आजा असग़र की जगह मेरी सकीना सो जा

जगती मां ने कहा मेरी सकीना सो जा


जो तुझे ख़ौफ़ है शायद मैं उसे कम कर दूूं

आजा आंखों पे तेरे नादे अली दम कर दूं 

दूर क्यों बैठी है आ मेरी सकीना सो जा 

आजा असग़र की जगह, मेरी सकीना सो जा


बाप के सीने पे आदत है तुझे सोने की 

मेरी गोदी तेरे क़ाबिल तो नहीं है फिर भी 

है मेरे दिल की सदा मेरी सकीना सो जा 

आजा असग़र की जगह मेरी सकीना सो जा


चार बरसों में ना ज़हमत दी कभी तू ने मुझे

अपनी ख़िदमत का मुझे आज तो मौका दे दे

होगा एहसान तेरा मेरी सकीना सो जा 

आजा असग़र की जगह, मेरी सकीना सो जा


क़ैद खाने में जो आ जाएंगे तेरे बाबा 

खुद उठा दूंगी तुझे शाना हिला कर तेरा 

अच्छा कुछ देर ज़रा मेरी सकीना सो जा 

आजा असग़र की जगह, मेरी सकीना सो जा


मुझसे देखा नहीं जाता ये तेरा दर्दे जिगर 

ये बताते हुए अच्छा तो नहीं लगता मगर 

अब ना आएंगे चाचा मेरी सकीना सो जा 

आजा असग़र की जगह, मेरी सकीना सो जा


साबिरो का ये क़रीना तो नहीं है बीबी 

ये है परदेस मदीना तो नई है बीबी 

करके बस शुक्र-ए-खुदा मेरी सकीना सो जा

आजा असग़र की जगह मेरी‌‌ सकीना सो जा